मरीजों को डेंगू होने की पुष्टि नहीं कर रहा मलेरिया विभाग
मरीजों को डेंगू होने की पुष्टि नहीं कर रहा मलेरिया विभाग जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जिला मलेरिया विभाग मरीज और उनके परिजनों को डेंगू होने की पुष्टि नहीं कर रहा है, बल्कि इसकी जानकारी सीधे उस चिकित्सक व स्टाफ तक पहुंचा रहा है, जिनके पास उनका उपचार चल रहा है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जिला मलेरिया विभाग मरीज और उनके परिजनों को डेंगू होने की पुष्टि नहीं कर रहा है, बल्कि इसकी जानकारी सीधे उस चिकित्सक व स्टाफ तक पहुंचा रहा है, जिनके पास उनका उपचार चल रहा है। यही वजह है कि उपचाराधीन ज्यादातर मरीजों को उनके डेंगू पॉजीटिव होने या न होने की सूचना तक नहीं है। मरीज इसी संशय में हैं कि अगर उन्हें डेंगू है तो उन्हें बताया क्यों नहीं जा रहा और अगर कोई सामान्य बुखार है तो उनका उपचार अस्पताल में क्यों? इन मरीजों के प्लेटलेट्स व दूसरे टेस्ट भी कराए जा रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर के प्लेटलेट्स गिर रहे हैं। एलएनजेपी अस्पताल में डेंगू व संदिग्ध डेंगू मरीजों की इतनी भरमार है कि संदिग्ध मरीजों को दूसरे वार्डों में सामान्य मरीजों के साथ लेटाया जा रहा है। मगर डेंगू वार्ड में दी जाने वाली मच्छरदानी इन्हें नहीं दी जा रही, जिससे दूसरे वार्डों में दाखिल मरीजों में भी डेंगू बुखार होने का खतरा बन रहा है। एलएनजेपी अस्पताल का स्टाफ भी इसकी चपेट में आ रहा है। सोमवार को अस्पताल की एक स्टाफ नर्स को डेंगू के चलते चिकित्सकों ने पीजीआइ रेफर कर दिया। बुखार था, पता नहीं कैसा चल रहा उपचार किशनपुरा निवासी दल¨वदर ने बताया कि उनकी पत्नी को कई दिन से बुखार चल रहा है, जिसके बाद उसे एलनजेपी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। आठ नवंबर से अस्पताल में उसका उपचार किया जा रहा है। मगर अभी तक उन्हें इस बात का पता नहीं कि उसकी पत्नी का कौन सा उपचार चल रहा था। दल¨वद्र ने बताया कि तीन दिन पहले उसकी पत्नी के प्लेटलेट्स जांच कराए थे तब एक लाख 29 हजार आए थे। अब पहले से बुखार कम है। प्लेटलेट्स लगातार गिर रहे ओर्थो में दाखिल सुमन के परिजन ने बताया कि सुबह ही उन्होंने प्लेटलेट्स की जांच कराई थी, जिसमें प्लेटलेट्स घटकर 36 हजार रह गए। अभी चार दिन हुए हैं और प्लेटलेट्स गिर रहे हैं। डेंगू का सैंपल मलेरिया लैब में भेजा गया है। अब तक उन्हें इसकी सूचना नहीं है। नवजात शिशु देखरेख इकाई में नहीं मिल रही शिशुओं की दवा गांव कंवारखेड़ी निवासी राकेश कुमार ने बताया कि उनका एक माह का नवजात शिशु है, जिसे दिखाने के लिए वे अस्पताल की नवजात शिशु देखरेख इकाई में लेकर आए थे। मगर यहां पर बच्चे की दवा ही नहीं मिली। राकेश कुमार के मुताबिक चिकित्सक ने तीन दवा लिखी हैं। इनमें से एक भी अंदर से नहीं मिली। राकेश कुमार ने बताया कि सरकार सारी दवाएं भीतर से मिलने की बात कहती है, लेकिन भीतर एक भी दवा नहीं है। इन्हें संदिग्ध डेंगू के चलते शिशु वार्ड में कराया गया दाखिल रोशनी, दिव्या, सपना, कार्तिक को बुखार के चलते शिशु वार्ड में दाखिल कराया गया है। इनमें से कई बच्चों के प्लेटलेट्स लगातार गिर रहे हैं, जिसके चलते उन्हें एलएनजेपी अस्पताल में दाखिल कराया गया है।
----- लैब टेक्नीशियन को लिखित रिपोर्ट देने की इजाजत नहीं : डॉ. सुदेश जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. सुदेश ने बताया कि डेंगू होने या न होने की सूचना मरीजों को सीधे दी जा रही है। लैब टेक्नीशियन को लिखित में रिपोर्ट देने की स्वीकृति नहीं है इसलिए मरीज और चिकित्सक को मोबाइल पर बता दिया जाता है। मच्छरदानी की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की है। अगर अस्पताल प्रशासन संदिग्ध डेंगू के मरीजों को सामान्य मरीजों के बीच में दाखिल कर रहा है और मच्छरदानी नहीं दे रहा तो इसकी जानकारी जिला सिविल सर्जन को दी जाएगी।