माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर अखंडता के पोषक थे : डॉ. श्रीप्रकाश
भारत में अनेक गरिमायुक्त महापुरुष हुए हैं, परंतु श्री गुरुजी उन सब से भिन्न थे, क्योंकि उन जैसा ¨हदू जीवन की आध्यात्मिकता, ¨हदू समाज की एकता और ¨हदुस्थान की अखंडता के विचार का पोषक और उपासक कोई अन्य न था। श्री गुरुजी की ¨हदू राष्ट्र निष्ठा असंदिग्ध थी।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : भारत में अनेक गरिमायुक्त महापुरुष हुए हैं, परंतु श्री गुरुजी उन सब से भिन्न थे, क्योंकि उन जैसा ¨हदू जीवन की आध्यात्मिकता, ¨हदू समाज की एकता और ¨हदुस्थान की अखंडता के विचार का पोषक और उपासक कोई अन्य न था। श्री गुरुजी की ¨हदू राष्ट्र निष्ठा असंदिग्ध थी। श्री गुरुजी आध्यात्मिक विभूति थे। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की जन्म जयंती के अवसर पर व्यक्त किए। डॉ. मिश्र ने कहा कि पूज्य श्रीगुरुजी तपस्वी थे। उनके संपूर्ण जीवन तपोमय था। हमारे यहां सब आदर्शों में बड़ा आदर्श है त्याग का आदर्श। वे तो त्याग की साक्षात मूर्ति ही थे। उन्होंने कहा कि गुरु जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 33 वर्षों तक मार्गदर्शक रहे। श्री गुरुजी में जो बहुमुखी प्राक्तन प्रतिभा थी, उनकी गरिमा का आकलन पाना कभी संभव नहीं हो सका। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उनमें अग्रणी होने की क्षमता थी। उन्होंने 33 वर्षो तक देश के लाखों तरुणों को मोह-¨नद्रा से जगाकर देश, धर्म और समाज-सेवार्थ प्रेरित करने का जो बीड़ा उठाया था, उसे अनूठे ढंग से निभाया भी था। आज भी उनकी प्रेरणा लक्ष-लक्ष हृदयों में गुंजायमान है और वही हम सबका पाथेय है उनके प्रशंसकों में उनकी विचारधारा के घोर विरोधी कतिपय कयुनिस्ट तथा मुस्लिम नेता भी थे। भारतवर्ष की अलौकिक दैदीप्यमान विभूतियों की श्रृंखला में श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर का राष्ट्रहित, राष्ट्रोत्थान तथा ¨हदुत्व की सुरक्षा के लिए किए गए सतत् कार्यो तथा उनकी राष्ट्रीय विचारधारा के लिए वे जनमानस के मस्तिष्क से कभी विस्मृत नहीं होंगे। इस अवसर पर मिशन के सदस्य, विद्यार्थी एवं अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।