गणेश चतुर्थी व्रत के साथ मनाया जाएगा लोहड़ी पर्व : डॉ. सुरेश मिश्रा
पिपली के कॉस्मिक एस्ट्रो के डायरेक्टर व श्रीदुर्गा देवी मंदिर के पीठाधीश डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन तिल चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यह व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। इस साल संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत 13 जनवरी को लोहड़ी के दिन पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
पिपली के कॉस्मिक एस्ट्रो के डायरेक्टर व श्रीदुर्गा देवी मंदिर के पीठाधीश डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि माघ मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन तिल चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यह व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है और कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। इस साल संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत 13 जनवरी को लोहड़ी के दिन पड़ रहा है। लोहड़ी का ऐतिहासिक महत्व :
लोहड़ी को दुल्ला भट्टी की एक कहानी से भी जोड़ा जाता है। लोहड़ी के सभी गानों को दुल्ला भट्टी से ही जोड़ा जाता है। यह भी कह सकते हैं कि लोहड़ी के गानों का केंद्र बिदू दुल्ला भट्टी ही है। लोहड़ी पर्व का आध्यात्मिक रहस्य :
लोहड़ी का संधि विच्छेद करें तो लो-हरि अर्थात अपने जीवन की सभी चिताओं, कमजोरियों को भगवान हरि को समर्पित कर देना और अग्नि के समान योगाग्नि से अपनी आत्मा रूपी जोत को परम जोत परमात्मा से एकाकार करना और अपनी आत्मा को दिव्य गुणों व शक्तियों से भर लेना है। ऐसे कर्म करना जिससे समस्त संसार का कल्याण हो।