अनुसंधान में साहित्य आधार और तार्किक सोच महत्वपूर्ण : कुलपति
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि सॉफ्टवेयर्स के प्रति पक्षपाती होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उन्हें मानव मस्तिष्क द्वारा पर्याप्त रूप से समर्थित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सॉफ्टवेयर पैकेजों पर क्विक कमांड क्लिक्स का परिणाम नहीं होना चाहिए, लेकिन परिणामों के पीछे कठोर तार्किक सोच आवश्यक है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि सॉफ्टवेयर्स के प्रति पक्षपाती होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उन्हें मानव मस्तिष्क द्वारा पर्याप्त रूप से समर्थित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सॉफ्टवेयर पैकेजों पर क्विक कमांड क्लिक्स का परिणाम नहीं होना चाहिए, लेकिन परिणामों के पीछे कठोर तार्किक सोच आवश्यक है। वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की ओर से कुवि के मानव संसाधन विकास केंद्र में डाटा विश्लेषण का उपयोग संबंधी तीन दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास केंद्र की निदेशिका प्रोफेसर नीरा वर्मा ने विश्वविद्यालय के कुलपति का स्वागत किया।
पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के सांख्यिकी विभाग के प्रोफेसर सुरेश कुमार शर्मा ने गुणवत्ता शोध पत्रों के प्रकाशन में विश्लेषणात्मक उपकरणों के मजबूत मौलिक ज्ञान के महत्व पर जोर दिया। यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के अध्यक्ष प्रोफेसर रमेश चंद्र दलाल ने सभी का धन्यवाद दिया।
कार्यशाला की समन्वयक डॉ. सलोनी पवन दीवान ने बताया कि यह कार्यशाला आर प्रोग्रा¨मग लैंग्वेज के बारे में रिसर्च स्कॉलर्स की कौशलता को विकसित करने के लिए डिजाइन की गई है जो फ्री ओपन सोर्स है और अनुसंधान के क्षेत्र में अब बहुत लोकप्रिय हो रही है। यह कार्यशाला दस सत्रों में विभाजित है और विभिन्न प्रख्यात रिसोर्स जिनमें प्रोफेसर सुरेश कुमार शर्मा, डॉ. भगत ¨सह, डॉ. चिराग मलिक, डॉ. नीरज कौशिक और डॉ. मनोज दिवाकर ने अपने ज्ञान और अनुभव कार्यशाला में सांझा किए।