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लाडवा विधानसभा का होगा इस बार तीसरा चुनाव

वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई लाडवा विधानसभा सीट पर इस बार तीसरा चुनाव होगा। पहले लाडवा थानेसर हलके में आता था। लाडवा के साथ जोड़ा बाबैन का हिस्सा रादौर विधानसभा सीट के अंतर्गत था। लाडवा विधानसभा सीट से एक बार इनेलो व एक बार भाजपा के विधायक बने हैं कांग्रेस का अभी तक खाता नहीं हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 08:10 AM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 08:23 AM (IST)
लाडवा विधानसभा का होगा इस बार तीसरा चुनाव
लाडवा विधानसभा का होगा इस बार तीसरा चुनाव

सतविद्र सिंह, कुरुक्षेत्र : वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई लाडवा विधानसभा सीट पर इस बार तीसरा चुनाव होगा। पहले लाडवा थानेसर हलके में आता था। लाडवा के साथ जोड़ा बाबैन का हिस्सा रादौर विधानसभा सीट के अंतर्गत था। लाडवा विधानसभा सीट से एक बार इनेलो व एक बार भाजपा के विधायक बने हैं, कांग्रेस का अभी तक खाता नहीं हुआ है। इस बार भाजपा के मौजूदा विधायक डॉ. पवन सैनी, कांग्रेस प्रत्याशी मेवा सिंह, जजपा प्रत्याशी संतोष दहिया, इनेलो की सपना बड़शामी चुनाव मैदान में हैं। शेर सिंह बने थे पहली बार विधायक

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साल 2009 में पहली बार इनेलो के शेर सिंह बड़शामी विधायक बने। उन्होंने कांग्रेस की कैलाशो सैनी को हराया था। भाजपा की टिकट से मेवा सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे और आजाद प्रत्याशी पवन गर्ग चौथे स्थान पर रहे थे। इसके बाद साल 2014 में हुए चुनावों में भाजपा के डॉ. पवन सैनी ने 42445 वोट लेकर जीत दर्ज करवाई। दूसरे स्थान 39453 वोट के साथ इनेलो की बच्चन कौर बड़शामी रही। कांग्रेस की कैलाशो सैनी को 33052 के साथ तीसरे और आजाद प्रत्याशी काका जतिद्र सिंह 9900 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे। लाडवा विधानसभा में है 145 गांव

लाडवा विधानसभा क्षेत्र में कुल 145 गांव हैं। इनमें लाडवा के साथ-साथ बाबैन और पिपली खंड के भी गांव शामिल हैं। जिनमें लगभग एक लाख 82 हजार मतदाता हैं। जिनमें 95 हजार 411 पुरुष व 86 हजार 972 महिला मतदाता है। इनमें सबसे ज्यादा जाट वोटरों की संख्या लगभग 36 हजार है, इसके बाद दूसरे नंबर पर सैनी 31 हजार और उसके बाद अनुसूचित जाति 15 हजार और नौ हजार जट सिख व इतने ही ब्राह्मण वोटर हैं। इसके साथ ही आठ हजार कश्यप राजपूत और सात हजार बनिया वोटर हैं। मतदाता चाहते हैं खेती में बढ़े रोजगार

लाडवा विधानसभा क्षेत्र में मुख्य रोजगार खेती है। लाडवा व आसपास के क्षेत्र में टमाटर की खेती अधिक है। इसके लिए फूड प्रोसेसिग यूनिट लगाने से रोजगार बढ़ेगा। लोगों को पारंपरिक जीरी व धान की फसल को छोड़कर सब्जी की खेती की तरफ बढ़ेंगे।


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