हरियाणा के कुरुक्षेत्र के डॉ. ममगाईं का भाषा प्रेम, प्रिसक्रिप्शन भी लिखते हैं हिंदी में
कुरुक्षेत्र के एलएनजेपी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. शैलेंद्र के कार्यालय में नेम प्लेट भी हिंदी में है और वह रोगियों के लिए जांच निदान और औषधियां सब हिंदी में लिखते हैं।
कुरुक्षेत्र [विनीश गौड़]। डॉक्टर शैलेंद्र ममगाईं। रोगियों के लिए जांच, निदान और औषधियां, सब हिंदी में लिखते हैं। सुस्पष्ट। शैलेंद्र जिन्हें लोग प्यार से शैली कहते हैं, कोई वैद्य नहीं, फिजीशियन हैं। डॉक्टर ऑफ मेडिसिंस। कुरुक्षेत्र के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में चिकित्सा अधीक्षक हैं। हरियाणा का बहुत प्रसिद्ध अस्पताल है। आपने अगर फिल्म बॉस देखी हो तो उसमें भी इसका दृश्यांकन है।
आप जब इस अस्पताल में आएंगे तो देखेंगे कि चिकित्सा अधीक्षक के कार्यालय में सम्मान बोर्ड से लेकर नेम प्लेट तक सब हिंदी में हैं। दूसरे चिकित्सकों की लिखे हुए प्रिसक्रिप्शन को मेडिकल स्टोर वालों के अलावा दूसरे नहीं पढ़ सकते, लेकिन शैलेंद्र का हस्ताक्षर भी आसानी से पढ़ा जा सकता है। डॉ. शैलेंद्र कहते हैं कि अगर शरीर के किसी भी हिस्से पर कोई चोट लग जाए तो उसका जख्म शरीर के उस हिस्से से कई बार जीवन भर नहीं जाता।
बोर्ड पर हिंदी में अंकित डॉक्टर शैलेंद्र ममगाईं का नाम।
बकौल शैलेंद्र, मेरे पिता ने हिंदी के लिए यातनाएं भुगतीं, मैं कैसे उनके संघर्ष को भूल सकता हूं। मेरे पिता हमेशा हिंदी को मां बताते हुए कहते थे कि कोई बेटा अपनी मां को कैसे भूल सकता है। भारतीयों की संस्कृति है कि वह अपने घर आने वाले अतिथियों को सम्मान देते हैं, सहभाषा अंग्रेजी को भी देश में पूरा मान सम्मान दिया जाता है। मेरी भी अंग्रेजी अच्छी है। चिकित्सा विज्ञान में तो पढ़ाया ही सब अंग्रेजी में जाता है, लेकिन हमें अपनी मातृभाषा को, अपनी राष्ट्रभाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए। उनका कहना है कि रही बात रोगियों के लिए औषधि, जांच और निदान आदि लिखने की तो यह क्रम बतौर चिकित्सक कुर्सी पर बैठने के पहले दिन से जारी है और जीवन भर जारी रहेगा।
हिंदी के अच्छे लेखक थे डॉ. शैलेंद्र के पिता
डॉक्टर शैलेंद्र के पिता डॉ. केशवानंद ममगाईं हिंदी के अच्छे लेखक थे। राष्ट्रधर्म, कादिंबनी जैसे ख्यातिलब्ध पत्रिकाओं के लिए लिखते थे। वह कई समाचार पत्रों के संवाददाता रहे। उन्हें हरियाणा हिंदी साहित्य अकादमी की ओर से हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के प्रति गौरवशाली और उल्लेखनीय कार्य करने के लिए बाबू बाल मुकुंद गुप्त पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सन् 1957 में अविभाजित पंजाब में हिंदी के लिए चलाए गए आंदोलन में वह साढ़े पांच माह तक केंद्रीय जेल अंबाला में बंद रहे थे। हरियाणा सरकार की तरफ से उन्हें स्वतंत्रता सेनानी पुरस्कार से सम्मानित किया था।
उत्तर प्रदेश के ये विधायक भी हिंदी में लिखते हैं प्रिसक्रिप्शन
गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से लगातार चार बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचने वाले डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल भी पेशे से चिकित्सक हैं। वह भी अपने प्रिसक्रिप्शन हिंदी में लिखते हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे स्वर्गीय डॉक्टर जितेंद्र कुमार अग्रवाल सुल्तानपुर शहर सीट से विधायक होते थे। उन्होंने एमबीबीएस में टाप किया था। वह भी हिंदी में ही प्रिसक्रिप्शन लिखते थे। ऐसे बहुत से हिंदी सेवी चिकित्सक हैं, जो प्रणम्य हैं।