सोचने मात्र से काम करेगा रोबोट मानव
सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र : अब तक मशीनों को कमांड देने से चलने तक की बात भारत में होती है,
सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र : अब तक मशीनों को कमांड देने से चलने तक की बात भारत में होती है, लेकिन तकनीक के इस दौर में अब भारत में ही ऐसे रोबोट तैयार होने लगे हैं जो व्यक्ति के बिना बोले, बिना किसी रिमोट के व्यक्ति के सोचने मात्र से काम करेगा। वो भी ऐसे जैसे स्वयं मानव करता है। रोबोट को बनाने वाले संस्थान ए सेट टी एंड आर इंस्टीट्यूट दिल्ली के छात्रों ने इसका नाम भी मानव दिया है। इसकी खास बात ये है कि यह पूरी तरह से मेड इन इंडिया है और विदेशी रोबोट के मुकाबले इसकी कीमत भी कई गुणा कम है। जो आम आदमी की पहुंच में हो सकता है। संस्थान के विद्यार्थी इसे इस बार कुरुक्षेत्र स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में आयोजित टेकस्पर्धा की प्रदर्शनी में विद्यार्थियों को दिखाने के लिए लेकर आए हैं।
टेकस्पर्धा में रोबोट लेकर आए राहुल ¨सह ने बताया कि इसको उन्होंने पूरी तरह से स्वयं तैयार किया है। जो मात्र दो फुट का है और वजन दो किलो है। घर में जितने प्रकार के कार्य होते हैं यह उनको करने में सक्षम है। एक बार किसी भी व्यक्ति के दिमाग के साथ इसको डिवाइस के माध्यम से अटैच कर चलाया जा सकता है। इसमें एक हेडफोन की तरह दिखने वाला एक डिवाइस सिर पर लगाने के बाद यह पांच से सात मिनट में व्यक्ति के दिमाग से अटैच हो जाता है। उसके बाद व्यक्ति जो सोचता है उसी के अनुसार कार्य करना शुरू कर देता है। जैसे घर में घुसने पर गर्मी महसूस होती है तो यह सोचने के बाद एसी या फिर पंखे को चला देगा। प्यास लगी है तो सोचने से ही पानी लेकर आ जाएगा। यह दो प्रकार का है। एक दो फुट का है जिसका वजन दो किलो है और दूसरा चार फुट का है जिसका वजन आठ किलो है।
देखता और सुनता भी है मानव रोबोट
मानव की तरह दिखने वाले इस रोबोट में आंखों के स्थान पर दो कैमरे लगाए गए हैं। जिनसे यह देख सकता है और आगे कुछ रुकावट आने के बाद व्यक्ति की तरह सोच सकता है। गिरने पर स्वयं खड़ा हो जाता है। इसके अलावा कानों की जगह इयर फोन लगाया गया है जिससे वह सुनता भी है। अगर गाने सुनाकर इससे डांस करवाया जाए तो यह उसी गाने के अनुसार डांस भी करता है। बुधवार को टेकस्पर्धा के समापन अवसर पर अतिथियों को इस रोबोट ने गानों पर डांस करके दिखाया था।
कैसे करता है काम
रोबोट पर पिछले छह वर्षो से लगातार काम करने वाले युवा वैज्ञानिक राहुल ¨सह ने बताया कि व्यक्ति का दिमाग जब कुछ सोचता है तो कुछ वेव छोड़ता है। इस रोबोट में ऐसे सेंसर लगाए गए हैं जो इन वेवज को पकड़ सकते हैं और रोबोट को पहुंचा देते हैं। जिसके आधार पर रोबोट मानव कार्य करना शुरू कर देता है।
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इसके अलावा भी संस्थान के विद्यार्थियों ने बनाए हैं कई इक्यूपमेंटस
राहुल ¨सह ने बताया कि वह संस्थान में रोबोट पर ही शोध कर रहे हैं। इसके अलावा संस्थान की ओर से फुटबाल प्लेइंग रोबोट। सेना के लिए खास प्रकार का ड्रोन जो दिमाग से ही कंट्रोल होगा। इसके अलावा प्रोस्टेटिक हाथ का निर्माण किया है। उन्होंने बताया कि प्रोस्टेटिक हाथ भी मांसपेशियों की तरंगों को पकड़ कर ही कार्य करेगा। यह दिव्यांगों के लिए कारगर साबित होगा। यह सस्ता और शुलभ है। जो आम व्यक्ति को मात्र 15 हजार रुपये में उपलब्ध हो सकता है।