कृष्णा और चांदनी को नहीं भुला पा रहा चिड़ियाघर
बाबू राम तुषार, पिपली : पिपली के चिडिय़ाघर में शेर गीत और शेरनी साक्षी की जोड़ी कृष्णा शेर और शेरनी चांदनी जैसी लोकप्रियता नहीं पा सकी। हालांकि कृष्णा शेर और चांदनी शेरनी की आपस में बनती नहीं थी, लेकिन उसके बावजूद उनका यह जोड़ा चिडिय़ाघर की शान को बढ़ा रहा था। भले ही चिडिय़ाघर में शेर गीत और शेरनी साक्षी की जोड़ी को आए दो वर्ष से अधिक का अर्सा बीत चुका है, लेकिन यह प्रसिद्धि नहीं पा रही।
बाबू राम तुषार, पिपली : पिपली के चिडिय़ाघर में शेर गीत और शेरनी साक्षी की जोड़ी कृष्णा शेर और शेरनी चांदनी जैसी लोकप्रियता नहीं पा सकी। हालांकि कृष्णा शेर और चांदनी शेरनी की आपस में बनती नहीं थी, लेकिन उसके बावजूद उनका यह जोड़ा चिडिय़ाघर की शान को बढ़ा रहा था। भले ही चिडिय़ाघर में शेर गीत और शेरनी साक्षी की जोड़ी को आए दो वर्ष से अधिक का अर्सा बीत चुका है, लेकिन यह प्रसिद्धि नहीं पा रही।
बता दें कि ज्वाला शेर और चांदनी की जोड़ी चिडिय़ाघर की किसी जमाने में शान थे। दोनों की जोड़ी पर्यटकों को खूब भाती थी। ज्वाला और चांदनी की अठखेलियों से पर्यटकों में खासा उत्साह देखा जाता था। चिडि़याघर में सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि अचानक ज्वाला शेर की तबीयत बिगड़ गई। चिडि़याघर के अधिकारियों ने ज्वाला शेर को बचाने के काफी प्रयत्न किए, मगर कुछ दिनों बाद ज्वाला शेर की ब्लडप्रोटोजोमा नामक बीमारी से मौत हो गई थी। ज्वाला शेर की मौत के बाद से शेरनी चांदनी भी उदास रहने लगी। उसका दिल बहलाने के लिए अधिकारियों ने राजस्थान के कोटा से कृष्णा शेर को यहां लाने का फैसला लिया। कृष्णा शेर चांदनी से उम्र में काफी छोटा था। कृष्णा और चांदनी की आपस में शुरू से ही नहीं बन पाई। नतीजतन अधिकारी दोनों को अलग-अलग बैरक में रखते थे। एक बार गलती से अधिकारियों ने कृष्णा और चांदनी को एक बैरक में छोड़ दिया तो चांदनी ने कृष्णा शेर की पूंछ काट खाई थी। इसके बाद से अधिकारियों ने कभी भी दोनों को एक साथ इकट्ठा रखने का खतरा मोल नहीं लिया। कुछ दिनों के बाद कृष्णा शेर और चांदनी की भी बीमारी से मौत हो गई।
चिडि़याघर में पुराने दिन लौटाने के लिए अधिकारियों ने सेंटर जू अथारिटी से शेर और शेरनी के जोड़े की मांग की। सेंटर जू अथारिटी से स्वीकृति मिलने के बाद चिडिय़ाघर में शेर गीत और शेरनी साक्षी को भेजा गया। गीत और साक्षी को चिडिय़ाघर में रहते हुए तकरीबन दो वर्ष का अर्सा बीत चुका है, लेकिन यह जोड़ी कृष्णा शेर और चांदनी शेरनी जैसी लोकप्रियता नहीं पा सकी। आज भी चिडिय़ाघर में पहुंचने वाले पर्यटक कृष्णा शेर और चांदनी को याद करना नहीं भूलते। बाक्स
शावकों के रोहतक जाने से चिड़िया घर में छाई वीरानगी साक्षी शेरनी और गीत शेर ने कुछ महीने पहले तीन शावकों को जन्म दिया था। शावकों में एक नर और दो मादा थे। शावकों के जन्म लेने के बाद से चिडि़या घर में जश्न का माहौल था। उम्मीद की जा रही थी कि जैसे जैसे शावक बड़े होंगे, उनको देखने के लिए चिडि़याघर में पर्यटकों की संख्या में इजाफा भी होता चला जाएगा, लेकिन पिछले दिनों तीनों शावकों को रोहतक भेज दिया गया। शावकों को रोहतक भेजने के बाद से चिडि़याघर में वीरानगी सी छा गई है। हालांकि शावकों को रोहतक भेजने की सारी कार्रवाई गुप्त रखी गई। थानेसर विधायक सुभाष सुधा व लाडवा विधायक पवन सैनी को भी शावकों के भेजने की भनक तक नहीं लग पाई।