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मारकंडा नदी का अवैध खनन से दशकों का नाता

जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र जिले से गुजरती मारकंडा नदी का अवैध खनन से दशकों से नाता रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 08:51 AM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 06:32 AM (IST)
मारकंडा नदी का अवैध खनन से दशकों का नाता
मारकंडा नदी का अवैध खनन से दशकों का नाता

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जिले से गुजरती मारकंडा नदी का अवैध खनन से दशकों से नाता रहा है। यहां लोग मनमानी करने में प्रशासन से जरा भी नहीं हिचकिचाते हैं। हालात ऐसे हैं कि नदी के किनारों तक के आसपास से नियमों के विरूद्ध जाकर पंद्रह फुट तक की गहराई तक खनन कर दिया गया है। अवैध खनन के चलते ही नदी सालों से बरसात के दिनों में सैकड़ों गांवों के लिए आपदा का कारण बनती आ रही है। इस बार चुनाव में अवैध खनन बड़ा मुद्दा होगा।

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झांसा से जखवाला तक मारकंडा नदी में रात के समय अवैध खनन आम हो चला है। जहां नदी खेतों के बीच से गुजरती है वहां किसान भी खनन से बाज नहीं आते हैं। नैसी गांव के पास नदी के बीच अवैध खनन चरम पर रहता है। नदी के दूसरी ओर के किनारे तक काट कर ग्रामीणों ने हद ही की हुई है। खेतों के दूसरी ओर नदी का पानी समतल जमीन से पांच से सात फुट की ऊंचाई तक पहुंच जात है। यह हालत तब है जब खेतों की ओर नदी के किनारों के आसपास खनन हुआ है। ऐसे में किनारे आबादी के लिए बरसात के दिनों में खतरा बने रहते हैं। नदी में खनन खेतों के रास्ते किया जाता है। जो कि रात के समय अधिक होता है। कई जगहों पर तो नदी के पुलों के पास ही खनन किया जाता है। किसानों के अनुसार अवैध खनन के चलते नदी के किनारे कभी भी बड़ा त्रासदी का कारण बनेंगे। बाक्स

सड़कें तोड़ रहे रेत-बजरी से भरे ओवर लोडिड ट्रक पड़ोसी जिलों में अवैध खनन कर लाए जा रहे रेत-बजरी से भरे ओवर लोडिड ट्रक सड़कें जरूर तोड़ रहे हैं। अंधेरा होते ही ऐसे ट्रकों की लंबी-लंबी कतारें सड़कों पर लगी रहती हैं। जल्द ही से जल्द अपने गंतव्य पर पहुंचने के लिए ये वाहन खूब तेज रफ्तार चलते हैं, जिससे हादसे भी हो रहे हैं। पश्चिमी यमुना नगर से रादौर के गांवों से होते हुए रेत-बजरी से भरे ओवर लोडिड वाहन जिले की सीमा में प्रवेश हो जाते हैं। रात के अंधेरे में ही इन वाहनों की अच्छी-खासी संख्या है जो जिले तथा कैथल, जींद, पटियाला की ओर जाते हैं। इन वाहनों पर भरे रेत-बजरी से निकल रहे पानी व ओवर लोड से सड़कें टूट रही हैं। पिपली से कैथल रोड की हालत बेहद खराब होती जा रही है।


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