दूषित पानी से फैली पीलिया, प्रशासन को सुध नहीं
सेक्टर तीन में दूषित पेयजल की सप्लाई के कारण आउट ब्रेक जानलेवा हो गया है। बुधवार को सेक्टर में चल रही अस्थाई ओपीडी में 26 मरीज पहुंचे जिनमें से 11 मरीजों को पीलिया के लक्षणों से प्रभावित पाया गया। इन्हें पुष्टि के लिए एलएनजेपी अस्पताल रेफर कर दिया गया। इससे पहले 24 मरीजों को पीलिया होने की पुष्टि विभाग कर चुका है। सेक्टर तीन निवासी सोनिया और गर्भ में पल रहे सात माह के बच्चे की मौत के बाद भी हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारी तो नहीं जागे। मगर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इस मामले में लीपापोती करने लगे हैं। विभाग महिला की मौत से एक माह पहले कैथल स्थित मायके में बता रहा है जबकि उसके पति के मुताबिक 12 जनवरी को ही उसने कुरुक्षेत्र के अल्ट्रासाउंड केंद्र में सोनिया का अल्ट्रासाउंड कराया था। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने डीसी को भी यही सूचना दी है कि महिला मौत से एक माह पहले ही कैथल स्थित अपने मायके चली गई थी।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सेक्टर-3 में एचएसवीपी के दूषित पेयजल से फैला पीलिया चौथे दिन आउट ब्रेक हो गया है। सेक्टर में लगाई अस्थाई ओपीडी में 26 लोग पहुंचे। इनमें 11 को पीलिया के लक्षण पाए गए। इनको पुष्टि के लिए एलएनजेपी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। इससे पहले 24 को पीलिया होने की पुष्टि स्वास्थ्य विभाग कर चुका है। सेक्टर तीन की सोनिया और उसके गर्भ में पल रहे सात माह के बच्चे की मौत के बाद भी हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारी नहीं जाग पाए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इस मामले में लीपापोती करने में लग गए हैं। अधिकारियों ने महिला को एक माह पहले से कैथल स्थित मायके में होने की बताने लगा है। डीसी को भी यही सूचना देकर पल्ला झाड़ लिया। डीसी व दूसरे प्रशासनिक अधिकारियों ने भी चौथे दिन मौके पर जाने तक की जेहमत नहीं उठाई। लीकेज ढूंढ रहे स्वास्थ्य कर्मी
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी लीकेज ढूंढ कर एचएसवीपी अधिकारियों को दे रहे हैं। चौथे दिन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने सेक्टर-5 में भी पानी की पाइप लाइन की दो जगह लीकेज मिली। इसके बाद एचएसवीपी की टीम हरकत में आई। एचएसवीपी के एक्सईएन रोहताश रोहिला के मोबाइल पर बात तक नहीं की।
स्वास्थ्य विभाग ने दो टीमों को लीकेज ढूंढने के लिए लगाया
एचएसवीपी की अनदेखी पर स्वास्थ्य विभाग ने सेक्टर में दो टीमों को पेयजल पाइप लाइन की लीकेज ढूंढने के लिए लगाया है। इन दोनों टीम का काम सिर्फ सेक्टर में उन जगहों का निरीक्षण करना है जहां पर सरकारी व निजी निर्माण या तोड़ फोड़ चल रही है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अब सेक्टर तीन के साथ लगते सेक्टरों में भी पेयजल पाइप लाइन लीकेज को ढूंढना शुरू कर दिया है ताकि स्थिति पर काबू पाया जा सके। शिकायत पुस्तिका भी लगवाई : डॉ. सुदेश सहोता
डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. सुदेश सहोता ने बताया कि ट्यूबवेल ऑपरेटर के नंबर बाहर अंकित करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही प्रत्येक ट्यूबवेल ऑपरेटर पर शिकायत पुस्तिका लगवाई गई है। बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने पूरे सेक्टर में पेयजल पानी की पाइप लाइन की जांच करने के साथ घर-घर पहुंचकर लोगों को पीलिया के प्रति जागरूक किया। विभाग की सफाई एक महीने से मायका थी महिला
स्वास्थ्य विभाग ने महिला सोनिया और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत के मामले को टालना शुरू कर दिया है। डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. सुदेश सहोता ने बताया कि महिला के स्वजनों से घर जाकर बातचीत की है। वह एक माह से अपने कैथल स्थित मायके में थी। ऐसे में सेक्टर-तीन में पीलिया से मौत होने की पुष्टि नहीं की जा सकती। इसका पता डेथ समरी से ही चल पाएगा। अब स्थिति नियंत्रण में है। बुधवार को पीलिया का कोई नया मरीज सामने नहीं आया। पति का आरोप : स्वास्थ्य विभाग कर रहा गुमराह
सोनिया के पति सुरेंद्र ने डिप्टी सिविल सर्जन की सफाई को गुमराह करने वाला बताया है। उसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत पीलिया से हुई है। उसने 12 जनवरी को ही शहर के एक अल्ट्रासाउंड सेंटर पर अपनी पत्नी का अल्ट्रासाउंड कराया था। सोनिया की तबीयत ज्यादा खराब होने पर उसे कैथल स्थित गांव खेड़ी गुलाम अली उसके मायके में छोड़कर आया था। सोनिया को वहां के किसी निजी अस्पताल की दवा से आराम मिलता था। सोनिया को पीलिया अधिक था। रोहतक पीजीआइ में उपचार के दौरान इसका पता चला। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उनसे सारी रिपोर्ट लेकर गए हैं। अब जिला प्रशासन को गुमराह कर रहे हैं। सेक्टर-3 की महिला सोनिया की मौत के कारण की अब तक पुष्टि नहीं हो पाई है। पीजीआइ से डेथ समरी आने के बाद ही कारण स्पष्ट हो सकते हैं। मुझे महिला के एक माह से अपने मायके में हो की जानकारी मिली है। एचएसवीपी को अलर्ट कर दिया है। मैं शहर में वीआइपी मूवमेंट के चलते के चलते मौके पर नहीं पहुंच सका।
धीरेंद्र खड़गटा, डीसी।