गृहस्थ के लिए 23 को होगा जन्माष्टमी व्रत
जन्माष्टमी पर इस बार द्वापर जैसा संयोग दोहराएगा। अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में सूर्य और चंद्रामा के उच्च होने से अछ्वुत बन रहा है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जन्माष्टमी पर इस बार द्वापर जैसा संयोग दोहराएगा। अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में सूर्य और चंद्रामा के उच्च होने से अछ्वुत बन रहा है। दो बार से लगातार विशेष योग में कृष्ण जन्मोत्सव योग में है। यह सर्व मनोकामना पूर्ति का योग है, जिसमें उपासना का विशेष फल मिलता है। पुराणों में ऐसे युग को तीन जन्मों के पापों से मुक्ति वाला बताया गया है।
गायत्री ज्योतिष अनुसंधान संस्थान के संचालक पंडित डॉ. रामराज कौशिक का कहना है कि कृष्ण जन्माष्टमी का पावन त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष को अर्धरात्रि व्यापनी अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाती है। इस बार 23 अगस्त शुक्रवार को अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र से युक्त अत्यंत पुण्यकारक जयंती योग में मनाया जाएगा। स्मार्त अथरत गृहस्थ के लिए व्रत 23 अगस्त का ही रखने का विधान है। वही वैष्णव संप्रदाय व साधु संतों की कृष्णाष्टमी 24 अगस्त शनिवार को उदया तिथि अष्टमी एवं औदयिक रोहिणी नक्षत्र से युक्त सर्वर्थ अमृत सिद्धियोग में मनाई जाएगी। श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था। इसलिए भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग होने से यह और भी शुभ हो गया है। रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि के साथ सूर्य और चंद्रमा ग्रह उच्च राशि में है। जिस प्रकार के योग भगवान श्रीकृष्ण का द्वापर युग में प्राकट्य हुआ था, वैसे योग में 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ : 23 अगस्त शुक्रवार (सुबह 8 बजकर 9 मिनट)
अष्टमी तिथि का समापन : 24 अगस्त सुबह (8 बजकर 32 मिनट )
रोहिणी नक्षत्र : 23 अगस्त की रात 27:47 से शुरू
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12-04 से 12:55 बजे तक
जन्माष्टमी निशिथ पूजा का समय : मध्य रात्रि 12:09 से 12:47 बजे तक
निशिता पूजा शुभ मुहूर्त की अवधि : 38 मिनट