तनाव से बचने के लिए सकारात्मक रहना जरूरी : जोशी
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में लैब अटेंडेंट और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के रिफ्रेशर कोर्स का वीरवार को तीसरा दिन रहा। यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिग एंड टेक्नोलाजी में आयोजित रिफ्रेशर कोर्स में लैब अटैंडेंट को तनाव रहित रहने के गुर बताए गए तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को कार्यालय शिष्टाचार के बारे में बताया गया।
- कुवि में लैब अटैंडेंट और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के रिफ्रेशर शिविर का तीसरा दिन जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में लैब अटेंडेंट और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के रिफ्रेशर कोर्स का वीरवार को तीसरा दिन रहा। यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिग एंड टेक्नोलाजी में आयोजित रिफ्रेशर कोर्स में लैब अटैंडेंट को तनाव रहित रहने के गुर बताए गए तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को कार्यालय शिष्टाचार के बारे में बताया गया।
मनोविज्ञान विभाग के शिक्षक डा. हरदीप लाल जोशी ने तनाव प्रबंधन पर व्याख्यान दिया और कहा कि व्यक्ति के तनावग्रस्त होने पर उसके व्यवहार में चिता, थकान और गुस्सा झलकता है। तनाव का कोई मापन नहीं होता परंतु उसे महसूस किया जाता है। उन्होंने तनाव के बाहरी व आंतरिक परिस्थितियों के बारे अवगत करवाया। उन्होंने दिमाग को सक्रिय रखने की विधि के बारे में बताते हुए कहा कि अगर दिमाग शांत है तो तनाव नहीं आ सकता। वहीं गलती होने पर माफी मांगने से तनाव दोनों ओर से कम होता है। संगीत एवं नृत्य आदि मनोरंजन से भी तनाव कम होता है। इस मौके पर हरिकेश पपोसा, विजेंद्र कुंडू, राजीव, सोमनाथ राणा, राहुल मेहता, दीपक थापा, शीशपाल, संजीव सपरा, कमलेश, नंदलाल, जसवीर, बबीता रानी, वीना रानी, आनंद व ललित मौजूद रहे।
शिष्टाचार और मोटिवेशन की दी जानकारी
दूसरी ओर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के टूरिज्म विभाग में आयोजित रिफ्रेशर कोर्स में कार्यालय शिष्टाचार और मोटिवेशन पर व्याख्यान दिया गया। डा. अंकुश अंबरदार ने कहा कि उचित व्यवहार से कार्यस्थल में जीवन की गुणवत्ता बढ़ती है तथा सफलता की सीढ़ी चढ़ने में शिष्टाचार हर कदम पर आपकी मदद करेगा। मनुष्य का वह आचरण जो मर्यादित हो तथा जिससे कार्यालय का वातावरण अच्छा बनता है, वही शिष्टाचार कहलाता है। दूसरों से वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप अपने प्रति चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उत्कृष्ट व्यवहार की आदत डालनी चाहिए तथा विनम्र, शिष्ट एवं सभ्य बनना चाहिए।