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आयुर्वेद में वर्णित पहले स्वास्थ्य की रक्षा करें : डॉ. शंभु

श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के बाल रोग विभाग के डॉ. शंभु दयाल शर्मा व डॉ. अमित कटारिया ने कहा कि पहले स्वास्थ्य की रक्षा करनी चाहिए। आयुर्वेद में यह बात वर्णित है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 09:05 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 09:05 AM (IST)
आयुर्वेद में वर्णित पहले स्वास्थ्य की रक्षा करें : डॉ. शंभु
आयुर्वेद में वर्णित पहले स्वास्थ्य की रक्षा करें : डॉ. शंभु

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र

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श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के बाल रोग विभाग के डॉ. शंभु दयाल शर्मा व डॉ. अमित कटारिया ने कहा कि पहले स्वास्थ्य की रक्षा करनी चाहिए। आयुर्वेद में यह बात वर्णित है। मगर लोग इसका अनुसरण करना ही छोड़ते जा रहे हैं। स्वस्थ खानपान और बिगड़ते लाइफ स्टाइल की वजह से लोग बीमार हो रहे हैं। बहुत सी ऐसी बीमारियां हैं जिनका सिर्फ लाइफ स्टाइल बदलने से बचा जा सकता है, लेकिन इस बात को लोग नहीं समझ रहे। उन्होंने छात्र-छात्राओं के साथ राष्ट्रीय आयुर्वेद मिशन के तहत गांव उमरी, डेरा बाजीगर, देवीदासपुरा, रतनडेरा और पिपली में बच्चों की जांच के लिए शिविर आयोजित किए। डॉ. अमित कटारिया के मार्गदर्शन में विद्याíथयों ने मरीजों की जांच की। उन्होंने बताया कि अब तक तीन हजार से ज्यादा विद्याíथयों की जांच स्कूलों में जाकर की जा चुकी है।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना ने बताया कि आज के युग में स्वस्थ जीवन के लिए माताओं व शिशुओं को उचित पोषण आवश्यक होता है, ताकि हमारे देश का भविष्य उच्वल हो। डॉ. अमित कटारिया ने बताया कि शिविरों के दौरान पोषण व युवा अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तन व समस्याओं के बारे में भी विद्याíथयों को जागरूक किया गया है। डॉ. कटारिया ने कहा कि दाल, दूध, दहीं, हरी सब्जियां व फलों का सेवन नियमित स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इनके सेवन करने से शरीर को प्रोटीन, विटामिन व खनिज तत्वों की पूíत होती है। उचित पोषण मिलने से बालकों का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है। डॉ. जितेश पांडा व डॉ. सुनिति ने गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं को नियमित स्वास्थ्य व स्तनपान के महत्व के बारे में जागरूक किया। आहार व औषधियों के प्रयोग द्वारा उसके महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि श्वेतप्रदर की बीमारी जो पहले महिलाओं में 30 से 35 साल की उम्र में मिलती थी अब 12 से 15 वर्ष की किशोरियों में ही नजर आ रही है। रक्त अल्पता एक बड़ी समस्या है। आंखे कमजोर होना, अच्छे से ब्रश नहीं करने की वजह से दांतों की सड़न की दिक्कत जैसी समस्याएं बच्चों में मिली, जिन्हें उपचार के लिए परामर्श लिखित में दिया गया। शिविर का सम्यक संपादन में डॉ. अशोक राणा, पीजी स्कॉलर्स डॉ. इंदू, डॉ. शेषन, डॉ. अंजु व इंटर्न प्राची और योगा अध्यापक सुनील चौहान ने किया।


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