भारतीय संस्कृति और संस्कार दुनिया की अनूठी देन : डॉ. मिश्रा
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ. आरसी मिश्रा ने कहा कि भारतीय संस्कृति और संस्कार दुनिया की अनूठी देने हैं। संस्कृति और संस्कारों का पालन करके ही आदर्श नागरिक बनकर देश को गौरवशाली बनाया जा सकता है। वे रविवार को ब्राह्मण एवं तीर्थोंधार सभा द्वारा संचालित कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय एवं छात्रावास के नवप्रवेश पाने वाले ब्रह्मचारियों के यज्ञोपवीत संस्कार पर आयोजित समारोह को मुख्यअतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ. आरसी मिश्रा ने कहा कि भारतीय संस्कृति और संस्कार दुनिया की अनूठी देने हैं। संस्कृति और संस्कारों का पालन करके ही आदर्श नागरिक बनकर देश को गौरवशाली बनाया जा सकता है। वे रविवार को ब्राह्मण एवं तीर्थोंधार सभा द्वारा संचालित कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय एवं छात्रावास के नवप्रवेश पाने वाले ब्रह्मचारियों के यज्ञोपवीत संस्कार पर आयोजित समारोह को मुख्यअतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यज्ञोपवीत धारण करने वाले ब्रह्मचारियों से कहा कि वे आज से अपनी शिक्षा का प्रारंभ कर रहे हैं। भारतीय संस्कृति में 16 संस्कार है, जिनमें यज्ञोपवीत संस्कार 10वां संस्कार है। यह संस्कार विद्या प्रारंभ व गुरु के निकट आने का संस्कार है। यहां से जीवन में नया मोड़ तथा नया संस्कार आता है। उन्होंने ब्रह्मचारियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि वे शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढें और अपने लक्ष्य को हासिल करें। भारतीय संस्कृति जीवन के मूल्यों का निर्धारण करती है। संस्कृति और संस्कारों से जुड़ कर ही मानव कहलाया जा सकता है।
हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. सोमेश्वर दत्त शर्मा ने अपने संबोधन में नवप्रवेश पाने वाले ब्रह्मचारियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि संस्कृत अकादमी इस प्रकार के कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने का काम करती है।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. सोमेश्वर दत्त ने की। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता महर्षि वाल्मिकी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. श्रेयांश द्ववेदी थे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में कुरुक्षेत्र के पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र पाल ¨सह, डीएवी कॉलेज पिहोवा के ¨प्रसिपल डॉ. कामेश्वर झा, मातृभूमि सेवा मिशन के संचालक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्रा, पंजाबी साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक सीआर मोद्गिल, कुवि के संस्कृत विभाग के प्रो. सुरेन्द्र मोहन मिश्रा तथा सभा के मुख्य सलाहकार जय नारायण शर्मा ने भाग लिया। संस्कृत में अपार ज्ञान का भंडार : डॉ. श्रेयांश मुख्यवक्ता डॉ. श्रेयांश द्ववेदी ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत में अपार ज्ञान का भंडार भरा हुआ है। उन्होंने ने भी सभा द्वार ब्रह्मचारियों को कर्मकांड की शिक्षा दिए जाने की प्रशंसा करते हुए कहा। इससे भारतीय संस्कृति का संरक्षण हो रहा है। सभा के मुख्य सलाहकार जय नारायण शर्मा तथा प्रधान महासचिव रामपाल शर्मा ने मुख्यअतिथि तथा अन्य गणमान्य लोगों का स्वागत करते हुए सभा की गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी। वेद विद्यालय के आचार्य नरेश कौशिक तथा मंचसंचालक हरिदेव शास्त्रि ने वेद विद्यालय की गतिविधियों का विस्तार से उल्लेख किया तथा मुख्यअतिथि का आभार व्यक्त किया। ये थे उपस्थित कार्यक्रम में सभा के प्रधान येशेन्द्र शर्मा, पूर्व प्रधान जेलेश शर्मा, नरेन्द्र शर्मा, पार्षद नितिन भारद्वाज लाली, डॉ. सत्यदेव, श्रीप्रकाश मिश्रा, राजेन्द्र जोशी, प्रदीप मिश्रा, पवन शर्मा पोनी, राजीव अच्चू स्वामी, राजकिश्न मलहान, माई चंद सैनी, विजय शर्मा कुकी, पं. रामराज, पृथ्वीनाथ गौतम, सतीश शर्मा, चंद्र प्रकाश काकू, ब्लॉक समिति के चेयरमैन देवीदयाल शर्मा, आचार्य राममेहर, सुरेन्द्र गौतम, श्याम तिवाड़ी, रामनिवास शर्मा, जोगी राम शर्मा उपस्थित थे।