मारुत योग में गणेश चतुर्थी, चांद देखना अशुभ
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : भाद्र पद शुक्ल चतुर्थी तिथि को गणेशोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : भाद्र पद शुक्ल चतुर्थी तिथि को गणेशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। पंचदेवताओं में गणेश जी का प्रथम स्थान है। भगवान गणेश की पूजा दोपहर में की जाती है। चतुर्थी तिथि को स्वाति नक्षत्र के साथ रवि योग है। इसके कारण मारूत नामक योग भी बन रहा है। मारूत योग 12 सितंबर रात दो बजकर चार मिनट से प्रारंभ होकर 13 सितंबर को रात एक बजकर सात मिनट तक चलेगा। इसलिए इस वर्ष भगवान गणेश जी जन्मोत्सव मारूत योग में होने के कारण विद्या बुद्धि, सुख शांति और समृद्धि बनी रहेगी। छात्रों, बुद्धिजीवियों के साथ-साथ राजनीतिज्ञों के लिए बहुत कल्याणकारी सिद्ध होगा। यह योग कई शुभ संयोग लेकर आ रहा है। शुभ मुहूर्त का समय : गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 12 सितंबर को दिन बुधवार को शाम चार बजकर सात मिनट पर हो रहा है। यह 13 सितंबर दिन वीरवार को दोपहर बाद 2 बजकर 52 मिनट पर समाप्त हो रहा है।भगवान गणेश का जन्म दोपहर में हुआ है, इसलिए इनकी पूजा दोपहर को ही होगी। उन्होंने बताया कि पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:27 से दोपहर बाद 12:27 बजे तक सबसे बेहतर है। उसके बाद भी पूजा की जा सकती है। इसके बाद डेढ़ बजे तक का समय मध्यम है। दो बजकर 52 मिनट पर चतुर्थी की समाप्ति के कारण पूजा नहीं हो सकती