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मातृभूमि सेवा मिशन और अग्रवाल विवाह क्लब की पानीपत की 48 कोस परिक्रमा शुरू

मातृभूमि सेवा मिशन और अग्रवाल विवाह क्लब की पानीपत इकाई के एक पचास सदस्यीय तीर्थ यात्री दल द्वारा कुरुक्षेत्र तीर्थ के 48 कोस परिक्रमा का दो दिवसीय यात्रा शुरु हुई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 08:10 AM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2019 08:10 AM (IST)
मातृभूमि सेवा मिशन और अग्रवाल विवाह क्लब की पानीपत की 48 कोस परिक्रमा शुरू
मातृभूमि सेवा मिशन और अग्रवाल विवाह क्लब की पानीपत की 48 कोस परिक्रमा शुरू

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: मातृभूमि सेवा मिशन और अग्रवाल विवाह क्लब की पानीपत इकाई के एक पचास सदस्यीय तीर्थ यात्री दल द्वारा कुरुक्षेत्र तीर्थ के 48 कोस परिक्रमा का दो दिवसीय यात्रा शुरु हुई।

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सेवा मिशन के संस्थापक डॉ.श्रीप्रकाश मिश्र ने भ्रमण पर आए सैलानियों को तीर्थ स्थलों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र नगर भारत में आर्यो के आरंभिक दौर में बसने का क्षेत्र रहा है और यह महाभारत की पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। इसका वर्णन श्रीमद्भगवद गीता के पहले श्लोक में मिलता है। इसलिए इस क्षेत्र को धर्म क्षेत्र कहा गया है। थानेसर नगर राजा हर्ष की राजधानी थी, जिसे महमूद गजनबी ने तहस-नहस कर दिया। आरंभिक रूप में कुरुक्षेत्र ब्रह्मा की यज्ञीय वेदी कहा जाता था, आगे चलकर इसे समंतपजक कहा गया, जबकि परशुराम ने अपने पिता की हत्या के प्रतिशोध में क्षत्रियों के रक्त से पांच कुंड बना डाले, जो पितरों के आशीर्वचनों से कालांतर में पांच पवित्र जलाशयों में परिवर्तित हो गए आगे चलकर यह भूमि कुरुक्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध हुई। भारत में तीर्थयात्रा की परंपरा आदिकाल से ही है। इस दौरान सभी तीर्थ यात्रियों ने वैदिक विधि विधान से ब्रह्मसरोवर तीर्थ की पूजा अर्चना की। तीर्थ यात्रा दल के प्रमुख समाजसेवी राकेश कुमार मित्तल ने कहा कि हम सबका सौभाग्य है कि हमें कुरुक्षेत्र के सभी तीर्थो का दर्शन करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। यात्रा दल के सभी यात्री इस यात्रा के प्रति बहुत उत्सुक हैं। तीर्थ यात्रा दल के मार्गदर्शक सूर्यदेव शर्मा ने बताया कि यह दो दिवसीय यात्रा कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, जींद आदि जनपदों के प्रमुख तीर्थो से होते हुए कुरुक्षेत्र में ही इस यात्रा का विश्राम होगा।


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