फिल्म दिखाकर पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करेगा पहला कदम
जैसा नाम वैसा काम..। पहला कदम संस्था ने किसानों पर, मंग खाणी जात, लघु फिल्म बनाई है। उसे विश्व ओ•ाोन दिवस पर लांच किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जैसा नाम वैसा काम..। पहला कदम संस्था ने किसानों पर, मंग खाणी जात, लघु फिल्म बनाई है। उसे विश्व ओ•ाोन दिवस पर लांच किया जाएगा। संस्था की ओर से तैयार की गई इस लघु फिल्म में एक ओर किसानों को खेती के साथ ही सहायक धंधों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके विपरीत किसानों को पर्यावरण संरक्षण से भी जोड़ा जाएगा। पहला कदम संस्थान ने पूरे एक वर्ष पर्यावरण से सेहत की ओर अभियान चलाने का निर्णय लिया है, जिसके तहत संस्था के 150 सदस्य जिले भर के किसानों को यह फिल्म दिखाने के साथ ही उन्हें आर्गेनिक खेती करने, कीटनाशक दवाओं का कम प्रयोग करने, फाने नहीं जलाने जैसे अहम मुद्दों पर भी जागरूक करेंगे। संस्था इस लघु फिल्म को विश्व ओ•ाोन दिवस पर लाच करने जा रही है।
पहला कदम के अध्यक्ष हुस्न कश्यप ने बताया कि पहला कदम इस बार ओ•ाोन दिवस को हर बार की तरह विशेष ढंग से मनाएगी, जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई हैं। 'मंग खाणी जात' में एक मध्यमवर्गीय किसान के दर्द और दो पीढि़यों के बीच के द्वंद्व को दर्शाने का प्रयास किया गया है। इसमें किसानी से मोह भंग होती युवा पीढ़ी की बगावत और किसान से अपनी औलाद को अपने पुश्तैनी धंधे से जोड़े रखने की कवायद को बेहद नजदीक से दिखाने का एक प्रयास है। यह लघु फिल्म घट चुकी जोत के दौर में किसान को सहायक धंधे अपनाने की शिक्षा देगी।
पहला कदम के संस्थापक दिलबाग ¨सह गुराया ने बताया कि यह फिल्म पहला कदम के आगामी अभियान 'पर्यावरण से सेहत की ओर' में प्रदर्शित कर किसानों की दो पीढि़यों के बीच सामंजस्य बैठा उन्हें सहायक धंधे अपनाने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रेरित करेगी। अंधाधुंध प्रयोग किए जा रहे कीटनाशकों एवं उर्वरकों को सही मात्रा में जरूरत पड़ने पर ही इस्तेमाल किए जाने बाबत शिक्षित किया जाएगा। इस के साथ किसानों को खुद के लिए ही सही कुछ रकबे में आर्गेनिक खेती करने की ओर प्रेरित करना भी अभियान का हिस्सा है ताकि पर्यावरण और जन सेहत को दुरुस्त किया जा सके। दिन प्रतिदिन क्षीण होती ओ•ाोन परत के विभिन्न कारकों पर ¨चतन के साथ साथ उन के निवारण हेतु लोगों को शिक्षित करना भी संस्था का लक्ष्य है।
संस्था से जुड़े और ़िफल्म के निर्माता रवि जांगड़ा ने बताया कि संस्था पहले भी इस तरह के प्रयास कर चुकी है जिस में उत्तराखंड त्रासदी के समय निर्मित 'पानी दा वाटर' उल्लेखनीय है। यूट्यूब पर उपलब्ध ये डॉक्यूमेंट्री हजारों लोगों ने देखी और शेयर की है।