ग्राम सचिवालयों में नहीं हैं अधिकारिय
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : प्रदेश सरकार की ओर से लाखों रुपये खर्च कर कई गांवों में बनाए गए ग्रामीण सचिवालय उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : प्रदेश सरकार की ओर से लाखों रुपये खर्च कर कई गांवों में बनाए गए ग्रामीण सचिवालय उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। इन सचिवालयों में कई विभागों के अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के बावजूद प्रशासनिक अमला लगातार इनकी अनदेखी कर रहा है। अधिकारियों के न पहुंचने पर लोगों को सही मायने में इन सचिवालयों का लाभ नहीं मिल रहा है। इसी लापरवाही से सरकार के लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद ग्रामीण इसके लाभ से वंचित हैं। ग्रामीण सचिवालयों में काम न होने पर लोगों को मजबूरी में जिला सचिवालय में बने कार्यालयों की ओर रुख करना पड़ रहा है, जिससे उन्हें समय के साथ आर्थिक हानि भी झेलनी पड़ रही है।
लोगों को गांव स्तर पर ही सरकारी सेवाओं और योजनाओं का लाभ देने के लिए प्रदेश सरकार ने गांव स्तर पर ग्राम सचिवालय खुलवाए थे। कुरुक्षेत्र में ऐसे में 85 ग्रामीण सचिवालय खोले गए थे, इनमें सरकार की ओर से फर्नीचर और अन्य सुविधाएं भी मुहैया करवाई थी। इसके साथ कृषि विशेषज्ञ, पशु पालन विभाग, राजस्व विभाग, मत्स्य विभाग व कई अन्य विभागों के अधिकारियों को भी आदेश जारी किए गए थे वह इन सचिवालयों में अपनी सेवाएं देंगे। इसके लिए सभी विभागों की ओर से दिन और समय तय किया जाएगा, ताकि संबंधित लोग अपनी समस्याओं के लिए इनसे मिल सकें और उनका समाधान हो सके। लेकिन अधिकारियों के ना बैठने पर सरकार की यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई।
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अटल सेवा केंद्रों से मिल रही राहत
इसी मंशा को लेकर सरकार ने इनमें से कइयों में अटल सेवा केंद्र खुलवाए थे, ताकि अटल सेवा केंद्र में पहुंचे लोग सरकारी सेवाओं और योजनाएं के लिए आवेदन कर सकें। कई माह तो अधिकारी इन सेवा केंद्रों के लिए ग्रामीण सचिवालयों में बिजली कनेक्शन का ही प्रबंध नहीं करवा पाए थे। आज भी जिले में कई केंद्र ऐसे हैं जहां पर बिजली कनेक्शन नहीं है। इसके अलावा अधिकारी के ना बैठने पर लोगों की समस्याओं का समाधान हो ही नहीं रहा है।
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निरीक्षण कर दिए जाएंगे निर्देश जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी कपिल शर्मा ने बताया कि जिले भर में 85 ग्रामीण सचिवालय हैं। इनमें समय-समय पर अधिकारियों को बैठने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि लोगों को गांव स्तर पर ही सहूलियतें मिल सकें। वह इन सचिवालयों का निरीक्षण करेंगे और अनदेखी करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।