डिफाल्टर मिलों से सरकार नहीं लेगी चावल, जुर्माना कराना होगा जमा
जगमहेंद्र सरोहा कुरुक्षेत्र खाद्य एवं आपूर्ति विभाग सरकारी चावल खाने वाले मिल मालिकों पर सख्त हो गया।
जगमहेंद्र सरोहा, कुरुक्षेत्र : खाद्य एवं आपूर्ति विभाग सरकारी चावल खाने वाले मिल मालिकों पर सख्त हो गया है। अब डिफाल्टर मिल मालिकों का चावल सरकार नहीं लेगी। उनको खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का निर्धारित जुर्माना जमा कराना होगा। इसकी अनदेखी करने वाले मिल मालिकों की प्रॉपर्टी पहले ही अटैच कर रखी है। मिल मालिकों ने समय पर जुर्माना जमा नहीं कराया तो प्रॉपर्टी की बोली कर दी जाएगी। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि मिलों से चावल की रिकवरी कर ली जाएगी।
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने इस बार जिले के 238 मिलों को 11.40 लाख मीट्रिक टन धान कुटाई के लिए दिया था। मिल मालिकों को कोरोना के चलते छूट के बाद भी 15 जून तक चावल वापस देना था। जिले के कुछ मिल मालिकों ने चावल वापस नहीं दिया। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने फिजिकल वेरीफिकेशन कराई थी। पहले 70 फीसद रिकवरी देने में 40-45 मिल कार्रवाई के दायरे में आते थे। एसीएस पीके दास ने 90 प्रतिशत से नीचे रिकवरी न देने वालों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। इसके बाद 60-65 मिल कैटेगरी में आ गए। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने पिछले दिनों ही लापरवाही बरतने वाले मिलों की प्रॉपर्टी अटैच कर दी थी। इस बीच सरकार ने नई सप्लाई खोल दी थी। इसके तहत 31 अगस्त तक चावल की रिकवरी दी जा सकती है।
अब यहां अटका है मामला
कस्टम मिलिग का समय पर चावल न देने वाले मिल मालिक अब चावल देना चाहते हैं, लेकिन सरकार उनका चावल वापस नहीं ले रही। सरकार तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से जुर्माना जमा कराने की कह रही है। जबकि मिल मालिक धान के रेट देने की बात कह रहे हैं। इस बात पर दोनों अड़े हुए हैं।
80 हजार क्विंटल चावल
सरकारी विभाग की माने तो मिल मालिक करीब 80 हजार क्विटल चावल देना है। एफसीआइ के अनुसार आज का चावल का रेट तीन हजार रुपये क्विंटल है। इस हिसाब से करीब 24 करोड़ रुपये का चावल दबाए बैठे हैं।
मिल मालिकों को चावल की रिकवरी के लिए समय दिया था। 13-14 मिलों को करीब 80 हजार क्विंटल चावल देना बाकी है। ऐसे मिलों की प्रॉपर्टी अटैच कर दी गई है। राजस्व विभाग आगामी कार्रवाई कर रहा है। मिल मालिक जुर्माना जमा नहीं कराते हैं तो इनकी प्रॉपर्टी की बोली कर दी जाएगी।
कुशलपाल बुरा, नियंत्रतक, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग।