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वोट किसी को भी दें, लेकिन मतदान जरूर करें

लोकतंत्र के महापर्व में हर कोई अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए उत्सुक है। देश में हो रहे लोकसभा चुनावों के छठे चरण में प्रदेश में चुनाव होंगे। युवा हो या फिर अन्य सभी को मतदान का इंतजार है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Apr 2019 09:55 AM (IST)Updated: Wed, 01 May 2019 06:50 AM (IST)
वोट किसी को भी दें, लेकिन मतदान जरूर करें
वोट किसी को भी दें, लेकिन मतदान जरूर करें

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : लोकतंत्र के महापर्व में हर कोई अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए उत्सुक है। देश में हो रहे लोकसभा चुनावों के छठे चरण में प्रदेश में चुनाव होंगे। युवा हो या फिर अन्य सभी को मतदान का इंतजार है। प्रिट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रानिक मीडिया और सोशल मीडिया हर तरफ चुनाव सरगर्मी चरम पर है। चुनावों में कोई किसी भी पार्टी या व्यक्ति को वोट दे, लेकिन मतदान केंद्र तक जरूर पहुंचे। पिछले चुनावों की अपेक्षा इस बार के चुनाव में लोगों की मतदान देने के प्रति जागरूकता बढ़ी है। लोग इस बार वोट को अधिकार के साथ ही जिम्मेदारी भी मान रहे हैं।

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दूसरे देशों के लोकतंत्र को भी देख लें : डॉ. दीपक बब्बर

कुवि के जुलाजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दीपक बब्बर ने कहा कि जिस देश में लोकतंत्र का अभाव है, वहां की स्थिति से अवगत हो लें। चीन तेजी से विकास किया है, लेकिन जनता को अधिकार देने में भारत से पीछे है। पाकिस्तान, सीरिया, लिबिया, ईराक जैसे देशों में मजबूत लोकतंत्र के अभाव में ही विकास अवरुद्ध है। ऐसे में हर पहलु पर विचार करना होगा। सबसे अधिक जिम्मेदारी शिक्षित लोगों की है। जो दूसरों को भी गलत और सही की जानकारी देने में सक्षम हैं।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करें: डॉ. अनिल गुप्ता

कुवि के यूनिर्विसटी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनिल गुप्ता ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। इसे सशक्त बनाने में सबसे बड़ा योगदान वर्तमान युवा पीढ़ी का है। युवा अपनी नई सोच से लोकतंत्र और देश की दशा-दिशा में गुणात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। छात्रों को अनिवार्य रूप से मतदान करने के लिए संकल्पित किया जाना जरूरी है।

चुनावों में प्रभावित होकर वोट न डालें मतदाता : डॉ. लोंगोवाल

कुवि के संगीत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर हरविद्र लोंगोवाल ने कहा कि चुनावी सीजन में नेता हर प्रकार का लालच देकर प्रभावित करने का प्रयास करेंगे, लेकिन प्रभावित होकर पूरे पांच वर्ष के लिए गलत हाथों में देश नहीं दिया जा सकता। सरकारें केवल पांच वर्ष के लिए नहीं बनती। पांच वर्ष काम न करके और गलत फैसले लेकर दशकों का नुकसान कर देती हैं। पिछले दशकों में नेताओं के फैसले देखें तो कई फैसले देश आज तक भुगत रहा है। इसलिए नेताओं की योग्यता और उनकी मानसिकता को पूरी तरह से जांच परख करने के बाद ही वोट डालें।

अधिकार चाहिए तो पहले कर्तव्य का निर्वहन जरूर करें : डॉ. शर्मा

कुवि के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संजय शर्मा ने कहा कि वर्तमान में विडंबना है कि शिक्षित और उच्च वर्ग के लोग मतदान केंद्रों पर नहीं पहुंचते यानी इस देश की सरकार बनाने की जिम्मेदारी एक तरह से गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की ही है, जबकि बाद में ये ही लोग सरकार के बारे में बाते करते हैं कि यह काम सही नहीं है और यह फैसला सही नहीं है। जब हमने किसी को चुना ही नहीं है तो वह अधिकार किस ने दिया। इसलिए अधिकार चाहिए तो पहले कर्तव्य को पूरा करना भी सीखना होगा।


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