दो साल से कर्मचारियों को नहीं मिल रहा नए वेतनमान के अनुसार एचआरए
प्रदेश सरकार की ओर से भले ही हजारों कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को वर्ष 2017 में ही लागू कर दिया हो लेकिन दो वर्ष बाद भी प्रदेश के हजारों कर्मचारियों को बढ़े हुए वेतनमान के अनुसार एचआरए नहीं मिल पा रहा है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
प्रदेश सरकार की ओर से भले ही हजारों कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को वर्ष 2017 में ही लागू कर दिया हो, लेकिन दो वर्ष बाद भी प्रदेश के हजारों कर्मचारियों को बढ़े हुए वेतनमान के अनुसार एचआरए नहीं मिल पा रहा है। कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार की इस नीति के कारण कर्मचारियों को दो वर्षों से ही प्रति माह दो से चार हजार रुपये प्रति माह का नुकसान हो रहा है। कर्मचारी मामले को कई बार प्रदेश सरकार के सामने उठा चुके हैं, लेकिन हर बार आश्वासन के अलावा कोई फायदा नहीं हो रहा है।
केंद्र सरकार की ओर से जनवरी 2016 में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया था। प्रदेश सरकार ने भी उस समय सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को टोटल लागू करने का दावा किया था। प्रदेश सरकार की ओर से वर्ष 2017 में इसे लागू भी कर दिया, लेकिन पूरी तरह से नहीं किया गया। प्रदेश सरकार की ओर से कर्मचारियों का वेतन तो बढ़ा दिया गया और वेतन में दिए जाने वाले कई फंडों को भी बढ़ा दिया, लेकिन एचआरए को प्रदेश सरकार की ओर से फ्रिज कर दिया गया है।
आठ प्रतिशत मिलता है वेतन का
राजकीय अध्यापक संघ के जिला महासचिव पवन मित्तल ने बताया कि एचआरए हर कर्मचारी को उसकी बेसिक सेलरी का आठ प्रतिशत दिया जाता है। केंद्र सरकार की ओर से कर्मचारियों को दे दिया गया है। जबकि प्रदेश में यह अभी तक नहीं दिया गया। प्रदेश सरकार की इस नीति के कारण प्रदेश भर के सभी कर्मचारियों को यह एचआरए नहीं दिया गया। जिसके कारण कर्मचारियों को प्रति माह दो से चार हजार रुपये का नुकसान हो रहा है।