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स्कूल प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ गई बच्चे की जान

जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र किड्स एकेडमी की स्कूल वैन में पांच वर्षीय बच्चे की मौत भले ही हादसा हो लेकिन मामले में स्कूल की ओर से सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी को लागू न करना भी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 08:38 AM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 08:38 AM (IST)
स्कूल प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ गई बच्चे की जान
स्कूल प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ गई बच्चे की जान

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : किड्स एकेडमी की स्कूल वैन में पांच वर्षीय बच्चे की मौत भले ही हादसा हो, लेकिन मामले में स्कूल की ओर से सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी को लागू न करना भी है। हादसे के समय स्कूल वैन में सहायक नहीं था और ड्राइवर को बच्चे को चोट लगने की जानकारी लगभग एक किलोमीटर चलने के बाद हुई। वैन में उस समय बच्चा अकेला था। परिजनों ने मामले में सीधे तौर पर स्कूल प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि स्कूल वैन तय नियमों के अनुसार नहीं थी और हेल्पर का होना जरूरी है, लेकिन वैन में कोई हेल्पर नहीं लगाया गया था। जिसके कारण हादसा हुआ है। अगर समय रहते बच्चे के घायल होने की जानकारी लगती तो वह बच सकता था। आरोप है कि सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी के तहत बैठकों का आयोजन तो होता है, मगर ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल वाहनों की जांच नहीं की जाती। जिसका खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ता है। बाक्स

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टकराकर नहीं बल्कि वैन में गिर कर मरा है बच्चा : परिजन मंगलवार सुबह स्कूल वैन में हुए हादसे की जानकारी परिजनों को स्कूल प्रशासन की ओर से ही दी गई। जानकारी मिलते ही बच्चे के परिजन और अन्य ग्रामीण अस्पताल में पहुंच गए। परिजनों ने स्कूल प्रशासन पर लापरवाही के आरोप भी लगाए। मृतक बच्चे के चाचा राममेहर ने बताया कि स्कूल वैन का ड्राइवर कहानी बना रहा है। वैन के साथ कोई ट्राली नहीं टकराई। अगर ऐसा होता तो कोई न कोई निशान वैन पर भी होता। उनका कहना है कि वैन की स्पीड ज्यादा थी और बच्चे का उछल कर सिर वैन में रखे टायर की स्टपनी पर लग गया। बच्चे के सिर पर ही गंभीर चोट थी, जिसके कारण उसकी मौत हुई है। बाक्स

पुलिस ने डाइवर को लिया हिरासत में परिजनों के आरोप लगाने के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए वैन के ड्राइवर के खिलाफ केस दर्ज कर उसे हिरासत में ले लिया। ज्योतिसर चौकी प्रभारी शर्मिला ने बताया कि मामले में स्कूल वैन के ड्राइवर और स्कूल प्रबंधक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस मामले में ड्राइवर से पूछताछ कर रही है। बाक्स

शाम को गमगीन माहौल में किया बच्चे का संस्कार पुलिस की कार्रवाई और बच्चे के शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद दोपहर पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में बच्चे का अंतिम संस्कार किया गया। पांच वर्षीय अक्षयवीर अपने माता-पिता का ही नहीं बल्कि पूरे परिवार में इकलौता बच्चा था। बच्चे का शव जब गांव में पहुंचा तो मां चित्कार उठी। उसके साथ ही दादी और अन्य रिश्तेदार की बेहोशी की हालत में थे। बाक्स

सुबह दिल्ली से मिलने चला था पिता, बच्चे का शव देख हो गया बेसुध अक्षयवीर का पिता कर्मवीर दिल्ली में अतिथि अध्यापक के पद पर कार्यरत है। मंगलवार को वह घर पर अपने बच्चे व परिजनों से मिलने आ रहा था। सुबह बच्चे की मां माफी ने खुद ही अक्षयवीर को बस में बिठाया था और कहा था कि जब तू स्कूल से आएगा तो तेरे पापा भी आ जाएंगे। कर्मवीर को रास्ते में ही इसकी जानकारी मिली। बेटे के शव को देख वह बेसुध हो गया।

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एक सप्ताह बाद था जन्मदिन अक्षयवीर पूरे परिवार का लाडला बच्चा था। उसके दादा चार भाई हैं। जिनके सभी पुत्रों के घरों में केवल कर्मबीर के घर का ही एक बेटा था। जिसके कारण वह सभी का लाडला था। 24 अप्रैल को अक्षयवीर का जन्मदिन था। उसके माता-पिता हर वर्ष की तरह उसका जन्मदिन धूमधाम से मनाना चाहते थे। परिजनों का कहना है कि अक्षयवीर अपने जन्मदिन को लेकर काफी उत्साहित था। स्कूल प्रशासन ने सबूत मिटाने का किया प्रयास लक्षयवीर के चाचा राममेहर का आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने सबूत मिटाने के लिए वैन को धो दिया था। वैन में बच्चे का खून गिरा था। चालक ने कैंथला गांव में बच्चे को घायल देखा था। चाचा राममेहर का आरोप है कि वैन को धोने के बाद उसे दोबारा बच्चों को लेने के लिए भेज दिया गया। चालक झूठी कहानी पुलिस के समक्ष बता रहा है। बाक्स

अभी रूट तय नहीं, हेल्पर अगले गांव से बैठता है वैन में : सुभाष चौहान किड्स एकेडमी के संचालक सुभाष चौहान का कहना है कि सुबह हादसे में जब बच्चे को चोट लगी तो वह तुरंत अस्पताल पहुंच गए थे। उन्होंने बताया कि उनकी सभी बसों पर हेल्पर तैनात हैं। बच्चा पिछले वर्ष उनके स्कूल में था तो आज ही दोबारा आना शुरू हुआ था। इससे पहले बारवा गांव से कोई बच्चा नहीं बैठता था तो हेल्पर भी अगले गांव से बस में बैठता है। अभी रूट तय नहीं हुए हैं। उसके बाद स्कूल प्रशासन की ओर से कोई कोताही नहीं बरती जाती।


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