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फानों को आग लगाने से होता है नुकसान

सुनहेड़ी गांव के किसानों ने कहा कि फानों को आग लगाने की बजाय इन्हें खेत की मिट्टी में मिलाने से ही किसान को फायदा होगा। फाने मिट्टी में मिलाने पर गेहूं की पैदावार में बढ़ोतरी होती है। इतना ही नहीं फसल में खाद भी कम डालना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 12:25 AM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 12:25 AM (IST)
फानों को आग लगाने से होता है नुकसान
फानों को आग लगाने से होता है नुकसान

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सुनहेड़ी गांव के किसानों ने कहा कि फानों को आग लगाने की बजाय इन्हें खेत की मिट्टी में मिलाने से ही किसान को फायदा होगा। फाने मिट्टी में मिलाने पर गेहूं की पैदावार में बढ़ोतरी होती है। इतना ही नहीं फसल में खाद भी कम डालना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी किसानों को जागरूक होना पड़ेगा। इसके साथ-साथ सरकार को भी फाने मिट्टी में मिलाने के लिए आधुनिक कृषि यंत्र सभी गांवों में उपलब्ध करवाने होंगे। उन्होंने दैनिक जागरण की ओर से पराली प्रबंधन को लेकर चलाई जा रही मुहिम की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के अभियान से पूरे समाज को फायदा होता है। फानों को आग न लगाने से पर्यावरण प्रदूषण तो कम होता ही है किसान के खेत की मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ती है।

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---- आग से मिट्टी के तापमान में होती है बढ़ोतरी : 28

किसान चंद्रभान ने कहा कि फानों में आग लगाने से मिट्टी की ऊपरी सतह के तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है। इससे सतह सख्त होने पर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता कम होने पर सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ता है। इससे किसान को ही नुकसान होता है।

---- सभी गांवों में उपलब्ध हों कृषि यंत्र : 29

किसान रामकरण ने कहा कि किसानों के पास उपलब्ध कृषि यंत्रों से फानों का प्रबंधन नहीं हो सकता। ऐसे में जरूरी है कि सभी गांवों में आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जाएं। जितनी ज्यादा मात्रा में ऐसे कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जाएंगे, उतना ही फानों को आग लगाने पर रोक लगेगी।

----- मजबूरी में जलाने पड़ रहे फाने : 30

किसान कर्म ¨सह ने कहा कि कोई भी किसान अपने ही खेत में आग नहीं लगाना चाहता। किसान को मजबूरी में आग लगानी पड़ती है। फानों के खेत में मटर और आलू की बुआई मुश्किल हो जाती है। फानों को खेत की मिट्टी में मिलाने के लिए किसान को खेत की जुताई पर हजारों रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं।

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किसान स्वयं भी दे रहे ध्यान : 31

किसान खुशी राम ने कहा कि अब किसान को जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर ¨चतित है। उसे पर्यावरण के साथ-साथ अपने खेत की मिट्टी के खराब होने का भी डर सता रहा है। ऐसे में वह स्वयं भी इसके उचित प्रबंधन पर जोर देने में लगा है।

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जागरूकता से मिलेगी सफलता : 32

किसान सुरजीत ¨सह ने कहा कि इस अभियान में जागरूकता से ही सफलता मिल सकती है। दैनिक जागरण किसानों के पास जाकर उन्हें जागरूक करने के प्रयास में जुटा है। उनका यह प्रयास सराहनीय है।


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