गुरुकुल का कृषि फार्म देखने अमेठी से पहुंचे 60 किसान
रासायनिक खेती ने किसान को बर्बाद कर दिया है। इससे किसान को न केवल आर्थिक नुकसान होता है बल्कि यूरिया व पेस्टीसाइड, डीएपी के प्रयोग से खेत की उर्वरा शक्ति नष्ट होने के साथ-साथ भूमि का जलस्तर गिरता जा रहा है और मित्र जीव भी समाप्त हो गए हैं जिस कारण पर्यावरण में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : रासायनिक खेती ने किसान को बर्बाद कर दिया है। इससे किसान को न केवल आर्थिक नुकसान होता है बल्कि यूरिया व पेस्टीसाइड, डीएपी के प्रयोग से खेत की उर्वरा शक्ति नष्ट होने के साथ-साथ भूमि का जलस्तर गिरता जा रहा है और मित्र जीव भी समाप्त हो गए हैं जिस कारण पर्यावरण में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इन सारी समस्याओं से बचने का केवल एक ही उपाय है कम लागत प्राकृतिक खेती।
ये शब्द गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्रधान कुलवंत ¨सह सैनी ने बृहस्पतिवार को गुरुकुल में अमेठी, उत्तर प्रदेश से आए ओंकार सेवा संस्थान के किसानों व महिलाओं को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि कम लागत प्राकृतिक कृषि ही एक ऐसा विकल्प है जो देश के किसानों को न केवल आर्थिक रूप से सबल बना सकता बल्कि ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए भी आदर्श बन सकता है। कम लागत प्राकृतिक कृषि को देश के किसान बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं और बहुत जल्द ही पूरे देश में प्राकृतिक कृषि की इस तकनीक को अपनाया जाएगा।
गुरुकुल के फार्म मैनेजर गुरदीप ¨सह ने ओंकार सेवा संस्थान के महासचिव सूर्यकुमार त्रिपाठी के साथ प्रतिनिधिमंडल में आए सभी किसानों को गुरुकुल का भ्रमण कराया। उन्होंने गुरुकुल के फार्म पर खड़ी गन्ना, गेहूं व सब्जियों की फसलों को देखा और आश्वासन दिया कि वे कम लागत प्राकृतिक कृषि मॉडल को न केवल अपनाएंगे, बल्कि जहां संभव होगा, लागू करवाने का प्रयास करेंगे। प्रतिनिधि मंडल में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और कम लागत प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत, घनजीवामृत व अन्य उपयोगी उत्पादों में अपनी रूचि व्यक्त की। प्रधान कुलवन्त ¨सह सैनी ने प्रतिनिधि मंडल में शामिल वीरेंद्र पांडेय, ¨वध्याचल यादव, रामप्रकाश वर्मा, कर्ण मौर्य, जगत बहादुर, मायावती, धनरानी, राजकुमारी आदि को प्राकृतिक खेती पर आधारित पुस्तक भेंट की। मौके पर प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता, सह प्राचार्य शमशेर ¨सह, लिपिक अशोक कुमार उपस्थित रहे।