मौसम में बदलाव से धान की कटाई में जुटे किसान, एमएसपी से 200 रुपये प्रति क्विंटल कम मिल रहा रेट
अनाज मंडी में इस समय धान की आवक जोरों पर है। लगातार बदलते मौसम को देखते हुए किसान जल्द से जल्द अपनी पकी हुई धान की कटाई कराने में जुटे हुए है।
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संवाद सहयोगी, लाडवा : अनाज मंडी में इस समय धान की आवक जोरों पर है। लगातार बदलते मौसम को देखते हुए किसान जल्द से जल्द अपनी पकी हुई धान की कटाई कराने में जुटे हुए है। इस समय लाडवा मंडी में प्रतिदिन पांच हजार से अधिक बोरी बारीक धान की पहुंच रही है। वहीं सरकारी खरीद न होने से तथा मंडी में न्यूनतम समर्थन मूल्य से 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल धान कम रेट में बिकने से किसान मजबूरन अपनी पीआर (मोटी) धान को मंडी में सूखाकर वापस ले जा रहे है। मंडी में शेड के नीचे मार्केट कमेटी किसानों को धान की बोरियां लगने नहीं दे रही। ऐसे में किसानों को मजबूरन अपनी धान को वापिस ले जाना पड़ रहा है। जिन किसानों के पास घर में अपनी धान रखने की व्यवस्था नहीं है तो वह किसान औने-पौने दामों में बेच रहे है।
लाडवा अनाज मंडी में इस समय किसानों को बारीक धान 1509 के अच्छे दाम मिल रहे है। बुधवार को लाडवा अनाज मंडी में यह धान करीब 2700 से 2950 रुपये प्रति क्विटल तक बिकी थी, जबकि पिछले वर्ष मंडी में यह धान 1600 से 2000 रुपये प्रति क्विटल तक ही बिकी थी। इस बार यह धान 22 से 26 क्विटल प्रति एकड़ तक निकल रही है। धान की निकासी ठीक होने व अच्छे दाम मिलने से किसानों के लिए धान कुछ राहत लेकर जरूर आई है।
सरकारी धान की खरीद 20 से शुरू करने की मांग
लाडवा अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान बिमलेश गर्ग ने अनाज मंडी में बढ़ती धान की आवक को देखते हुए सरकार से 25 सितंबर की बजाए 20 सितंबर से धान की सरकारी खरीद शुरू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हर रोज किसान मंडी में अपनी धान लेकर पहुंच रहे है। बारीक 1509 किस्म के दाम तो किसानों को उचित मिल रहे और व्यापारी भी धान खरीद रहे हैं, लेकिन पीआर धान की सरकारी खरीद न होने से न केवल किसानों को उनकी धान के कम दाम मिल रहे है, बल्कि उन्हें मजबूरन अपनी धान को वापिस मंडियों से ले जाना पड़ रहा है, जिससे उन्हें और अधिक खर्च बढ़ने से उन्हें नुकसान हो रहा है। उन्होंने सरकार से धान की नमी 17 फीसद से घटाकर 16 फीसद करने की मांग की है। उसे घटाने की बजाए और अधिक बढ़ाने की मांग की। मजदूरों की समस्या को देखते हुए तथा हर रोज बदलते मौसम के कारण किसानों को कंबाइन से अपनी धान कटवानी पड़ रही है। सरकारी खरीद न होने से किसानों को मजबूरन न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों पर बेचनी पड़ रही है।