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दैनिक जागरण के साथ किसानों ने ली फाने न जलाने की शपथ

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : दैनिक जागरण के पराली प्रबंधन अभियान में शामिल हो कर बचगांवा गामड़ी के किसानों ने फाने न जलाने की शपथ ली और इसके लिए अन्य किसानों को भी जागरूक करने का वादा किया। इतना ही नहीं किसानों ने इस तरह का अभियान जलाकर किसानों को फाने जलाने से होने वाले नुकसान के लिए जागरूक करने पर दैनिक जागरण का आभार भी व्यक्त किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 07:14 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 07:14 PM (IST)
दैनिक जागरण के साथ किसानों ने ली फाने न जलाने की शपथ
दैनिक जागरण के साथ किसानों ने ली फाने न जलाने की शपथ

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : दैनिक जागरण के पराली प्रबंधन अभियान में शामिल हो कर बचगांवा गामड़ी के किसानों ने फाने न जलाने की शपथ ली और इसके लिए अन्य किसानों को भी जागरूक करने का वादा किया। इतना ही नहीं किसानों ने इस तरह का अभियान जलाकर किसानों को फाने जलाने से होने वाले नुकसान के लिए जागरूक करने पर दैनिक जागरण का आभार भी व्यक्त किया। किसानों ने स्वयं कहा कि फाने जलाने से किसान अपना ही नुकसान कर रहा है। फाने जलाने पर खेत की मिट्टी सख्त होती है और इसके तापमान में बढ़ोतरी होने पर उपजाऊ शक्ति घटती है। मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए फानों को खेत की मिट्टी में मिलाना जरूरी है। - फानों में ही हैप्पी सीडर से की गई बिजाई

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कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने किसानों को बुलाकर खेत में खड़े फानों में ही गेहूं की बिजाई करके दिखाई। विशेषज्ञ ने बताया की हैप्पी सीडर से बिजाई करने पर किसान का खर्चा कम आता है और फसल अच्छी होती है। हैप्पी सीडर धान के खड़े फानों में ही अच्छी तरह से बिजाई करने में सक्षम है। इसके साथ बिजाई करने पर खेत में खरपतवार भी कम होता है और खाद भी सही जगह पर जाता है। हैप्पी सीडर के फायदों को देखते हुए ही सरकार की ओर से कस्टम हाय¨रग सेंटर पर 80 प्रतिशत सब्सिडी देकर हैप्पी सीडर उपलब्ध करवाया गया है। किसानों को हो रहा फायदा :

किसान प्रेम पाल ने कहा कि फानों को आग न लगाने पर किसानों को ही फायदा हो रहा है। फाने खेत की मिट्टी में मिलकर इसी उपजाऊ शक्ति बढ़ा रहे हैं। इससे पैदावार अच्छी हो रही है और फसल में खाद भी कम डालनी पड़ती है। खाद कम डालने पर खेती पर खर्च कम होने पर बचत हो रही है। बीमारियों से हो रहा बचाव :

किसान कर्म ¨सह नेहरा ने कहा कि खेत में खड़े फानों को मिट्टी मिलाने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ रही है। इससे खेत में कीटनाशक नहीं डालने पड़ते। कीटनाशक का उपयोग कम होने पर यही फसल स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा रही है। इससे किसान व पूरा समाज बीमारियों से बच रहा है। प्रदूषण हो रहा है कम :

कस्टम हाय¨रग सेंटर संचालक रामकुमार ने कहा कि फानों में आग लगाने से वायुमंडल में प्रदूषण बढ़ता है। इस प्रदूषण के चलते सांस के रोगियों को तकलीफ बढ़ती है। इसके अलावा बढ़ता प्रदूषण पूरी मानव जाति के लिए खतरे की घंटी है। फाने जलाने से निकलने वाले इस धुंए से बचाव के लिए जागरूक होकर फानों को आग से बचाना जरूरी है। सरकार भी इसके पूरा सहयोग दे रही है। अन्य किसानों के प्रेरणा स्त्रोत बने धर्म ¨सह :

किसान धर्म ¨सह ने बताया कि फानों से होने वाले नुकसान की जानकारी मिलने पर उन्होंने फानों को आग लगाना बंद कर दिया है। फानों में आग लगने होने वाले प्रदूषण से बचने के लिए सरकार की ओर से भी कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं। विदेशों में बैठे उनके बच्चे भी फाने न जलाने की सलाह दे रहे हैं। इस बार उन्होंने 40 एकड़ खेत में फाने नहीं जलाए। उनकी देखा-देखी पड़ोसी भी जागरूक होने लगे हैं। दैनिक जागरण भी इस अभियान में शामिल होकर किसानों को जागरूक करने में जुटा है। यह एक अच्छी शुरुआत है। इससे किसान भाइयों को फायदा मिलेगा। नये कृषि यंत्रों को लाभ उठा रहे किसान :

किसान राजेश कुमार ने कहा कि सरकार की ओर से इसके लिए सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। किसान भी इन कृषि यंत्रों से फानों को मिट्टी में मिला रहे हैं।इससे किसान की जमीन की हालत में सुधार हो रहा है। खेती के तरीकों को बदलना जरूरी

किसान विजय ¨सह ने बताया कि किसान को अब समयानुसार अपनी खेती के तरीकों को बदलना होगा। खेती को फायदे का सौदा बनाने के लिए परंपरागत खेती से तौबा कर नई विधि अपनानी होगी। कृषि विशेषज्ञ भी इसके लिए किसानों के साथ खेत में खड़े हैं। सरकार की ओर से जारी की गई है करोड़ों रुपये की सब्सिडी :

कृषि विभाग के सहायक अभियंता राजेश वर्मा ने बताया कि फानों को मिट्टी में मिलाने के लिए सरकार की ओर से किसानों को करोड़ों रुपये की सब्सिडी देकर आधुनिक कृषि यंत्र मुहैया करवाए जा रहे हैं। इन यंत्रों की मदद से किसान आसानी से इन फानों को मिट्टी में मिला सकते हैं। फानों को आग लगाने से किसान का अपना ही नुकसान हो रहा है।


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