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पुलिस को भीड़ से चकमा देकर किसानों ने फूंका पुतला

भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर किसानों ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में रविवार को मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव कृष्ण बेदी के घर के बाहर प्रधानमंत्री व प्रदेश सरकार का पुतला फूंका।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 07:26 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 07:26 AM (IST)
पुलिस को भीड़ से चकमा देकर किसानों ने फूंका पुतला
पुलिस को भीड़ से चकमा देकर किसानों ने फूंका पुतला

संवाद सहयोगी, शाहाबाद : भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर किसानों ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में रविवार को मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव कृष्ण बेदी के घर के बाहर प्रधानमंत्री व प्रदेश सरकार का पुतला फूंका।

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किसानों को पुतला जलाने से रोकने के लिए प्रशासन व पुलिस के सभी प्रबंध धरे रहे गए। किसानों को रोकने के लिए पानी की बौछारें भी छोड़ी गई और पुलिस को हल्का लाठी चार्ज भी करना पड़ा। इसके बावजूद किसान पुतला दहन करने में सफल रहे। इस हल्के लाठीचार्ज में एक किसान के सिर पर चोट लगी है तो दूसरी तरफ नाके पर किसानों का ट्रैक्टर रोकते हुए डीएसपी के हाथ पर भी हल्की चोट आई है। किसानों ने योजनाबद्ध ढंग से पुतला फूंका। बड़ी संख्या में किसानों ने पुलिस को प्रदर्शन उलझा लिया और पांच किसान अलग रास्ते से पुतले को लेकर पहुंचे और उसे आग के हवाले कर दिया। पुतले की आग को बुझाने के लिए प्रशासन ने फायर ब्रिगेड से पुतले की आग को बुझाने का प्रयास किया।

गौरतलब है कि दशहरे के दिन किसानों का कार्यक्रम पिपली अनाज मंडी में पुतला फूंकने का था। लेकिन कार्यक्रम में बदलाव करते हुए 11:00 बजे के करीब किसानों की भीड़ लाडवा रोड की तरफ से पूर्व राज्यमंत्री कृष्ण बेदी के निवास की ओर कूच करने लगी। किसानों का नेतृत्व भाकियू के प्रेस प्रवक्ता राकेश बैंस व जसबीर सिंह मामूमाजरा कर रहे थे। पुलिस ने अंदेशे के चलते पहले से ही उस क्षेत्र को छावनी में तबदील कर दिया था। किसानों को रोकने के लिए डीएसपी आत्मा राम पुनिया के साथ बड़ी संख्या में पुलिस कर्मचारी नाका लगाकर तैनात हो गए थे। नाके पर किसानों के ट्रैक्टर को रोकते समय डीएसपी आत्मा राम पुनिया को हाथ पर हल्की चोट लग गई। जब किसान पुलिस नाका तोड़कर आगे बढ़ने लगे तो फायरब्रिगेड की गाड़ियों से पानी की बौछारें भी किसानों पर छोड़ी गई और हल्का लाठी चार्ज भी किया गया। लेकिन पुलिस किसानों को रोकने में असफल रही। एक तरफ बड़ी संख्या में किसान पुलिस व प्रशासन को प्रदर्शन में उलझाए हुए थे और दूसरी ओर पांच किसान अलग रास्ते से पुतले को लेकर पूर्व मंत्री के निवास के सामने पहुंचे गए और पुतले को आग के हवाले कर दिया। आग को देखते ही पुलिस कर्मचारी इसे बुझाने के लिए भागे और हल्का लाठी चार्ज कर किसानों को खदेड़ा। किसानों के कहा कि मामूमाजरा के किसान जोगेंद्र सिंह के सिर पर चोट आई है। लेकिन इससे पहले किसान अपने मकसद में कामयाब हो गए थे। किसानों ने नारेबाजी करते हुए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग की। पुतला फूंकने के बाद किसान नारेबाजी करते हुए वापस कूच कर गए। लेकिन जसबीर सिंह मामूमाजरा, राकेश बैंस, पवन कुमार व पंकज हबाना करीब आधा घंटा तक वहीं बैठे रहे। इसके बाद जलेबी मंगवाई और दशहरे की मिठाई खाने के बाद वह वहां वापस गए। किसानों के जाने के बाद ही पुलिस व प्रशासन ने राहत की सांस ली।

उच्चाधिकारियों की नोटिस में दिया मामला

डीएसपी आत्मा राम पुनिया ने कहा कि प्रदर्शन कारियों पर मामला दर्ज करने को लेकर विचार किया जा रहा है और इस बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया है। उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर को रोकते समय उन्हें चोट आई है। रात में ही शुरू कर दी थी धरपकड़

भाकियू की ओर से पुतला दहन के लिए जिला भर के किसानों को पिपली की अनाज मंडी में एकत्रित होने का आह्वान किया गया था। इस आह्वान को देखते हुए पुलिस ने किसान नेताओं की धरपकड़ शुरू कर दी थी। भाकियू प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश प्रवक्ता घरों पर नहीं मिले। ऐसे में पुलिस ने कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष कर्म चंद मथाना, रामदिया फतुहपुर, युवा नेता संजीव आलमपुर, विरेंद्र बाजवा और चम्मुकलां से गुरनाम को सुबह ही उनके घरों से उठा लिया। इसके बाद एक बजे के करीब किसान नेताओं को छोड़ दिया गया।


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