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सबसे ताकतवर कहा जाने वाले कुंटिया का आंदोलन औंधे मुंह गिरा

कुवि गैर शिक्षक कर्मचारी संघ कई वर्षो से प्रदेश का सबसे ताकतवर कर्मचारी संगठन होने का दावा करता रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 01:22 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 01:22 AM (IST)
सबसे ताकतवर कहा जाने वाले कुंटिया का आंदोलन औंधे मुंह गिरा
सबसे ताकतवर कहा जाने वाले कुंटिया का आंदोलन औंधे मुंह गिरा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुवि गैर शिक्षक कर्मचारी संघ कई वर्षो से प्रदेश का सबसे ताकतवर कर्मचारी संगठन होने का दावा करता रहा है। गाहे-बगाहे कर्मचारी नेता मंच से आवाज देते रहे हैं कि प्रशासन और सरकार को कुंटिया के इतिहास की जानकारी नहीं है। इस बार भी कर्मचारियों ने 22 दिन प्रदेश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय के कामकाज को न केवल ठप रखा, बल्कि जमकर प्रशासन का विरोध किया, लेकिन विश्वविद्यालय के कुलपति की न झुकने वाली प्रवृत्ति के आगे कर्मचारी संघ का आंदोलन औंधे मुंह गिरा। इस आंदोलन से कर्मचारियों की शायद ही कोई मांग पूरी हुई हो, हालांकि विधायक सुधा ने आश्वासन दिया है।

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प्रशासन ने भी कर्मचारियों को खूब छकाया

22 दिन के आंदोलन में कुवि प्रशासन ने कर्मचारियों को खूब छकाया। कर्मचारी नेताओं के खिलाफ कोर्ट में मामला दर्ज करा दिया गया। उसका असर कई कर्मचारी नेताओं पर साफ दिखाई दिया। कर्मचारियों के वेतन को काटकर पहली बार ही सही, लेकिन नो वर्क नो पे को लागू कर दिखाया। कर्मचारी नेताओं से इस बार प्रशासन ने बहुत कम बार बात की। कर्मचारी नेता नहीं माने तो उनके खिलाफ पहले 17 और फिर 30 कर्मचारियों के खिलाफ नोटिस जारी करा दिया गया।

प्रशासन की भी हुई फजीहत

इस पूरे आंदोलन में जहां कर्मचारियों को बिना कोई मांग पूरी कराए वापिस आना पड़ा। कुवि प्रशासन की फजीहत भी कम नहीं हुई। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास में प्रदेश का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय कभी 22 दिनों तक बंद नहीं हुआ। प्रशासनिक अधिकारी इतने दिन छात्रों के सवालों के जवाबों से बचते रहे। कई बार छात्रों ने प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। भाजपा से जुड़े रहने वाले छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों को तो कुलपति से मिलने के लिए ही दो दिन तक भूख हड़ताल करनी पड़ी। फिर भी वे उनसे नहीं मिले। पहली बार विश्वविद्यालय में सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। किसी विधायक ने कर्मचारियों और कुलपति के बीच में मध्यस्थता की। उनका दावा है कि उन्हें इस संबंध में मुख्यमंत्री ने नियुक्त किया था। छात्रों ने ज्ञापन देने भर के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग तक को जाम करना पड़ा। विधायक ने दिया मांगें पूरी कराने का आश्वासन, शाम को ही प्रशासन ने धो डाला

बुधवार को हड़ताल को समाप्त कराने आए थानेसर के विधायक सुभाष सुधा ने दावा किया कि उन्होंने मध्यस्थता करते हुए कुंटिया नेताओं को मना लिया। विधायक ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे उनकी सभी मांगों को पूरा कराएंगे। मांगों के बारे में लिखित में आश्वासन दिया जाएगा। वे स्वयं बातचीत के दौरान मध्यस्थता करेंगे। कुवि प्रवक्ता डॉ. तेजेंद्र शर्मा की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में साफ कर दिया गया कि कर्मचारियों के साथ समझौता मंगलवार को हुई बातचीत के आधार पर ही हुआ है। कुवि के इस बयान पर गौर करें तो शुक्रवार की बातचीत का कोई औचित्य ही नहीं है।


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