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गेहूं की सरकारी खरीद का भुगतान न होने से किसानों और आढ़तियों में रोष

खरीदे गए गेहूं का भुगतान न होने से किसानों के साथ आढ़तियों और मजदूरों में भी भारी रोष है। किसानों को अपने अनाज के भुगतान के लिए मारा-मारा फिरना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 07:08 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 07:08 AM (IST)
गेहूं की सरकारी खरीद का भुगतान न होने से किसानों और आढ़तियों में रोष
गेहूं की सरकारी खरीद का भुगतान न होने से किसानों और आढ़तियों में रोष

संवाद सहयोगी, लाडवा : खरीदे गए गेहूं का भुगतान न होने से किसानों के साथ आढ़तियों और मजदूरों में भी भारी रोष है। किसानों को अपने अनाज के भुगतान के लिए मारा-मारा फिरना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार ने नई प्रणाली में गेहूं खरीद का भुगतान बिलिग कम पेमेंट एजेंट (बीसीपीए) के बजाय सीधे आढ़ती के खाते में करने की शुरुआत की थी। खरीद का भुगतान सात दिन के भीतर करने का दावा किया था। भुगतान नहीं होने से न तो किसानों को अपनी फसल का पैसा मिल पा रहा है और न ही मजदूरों को अपनी मजदूरी मिल पा रही है।

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भुगतान के मसले को लेकर लाडवा अनाज मंडी के प्रधान विमलेश गर्ग ने कहा कि सरकार की मंडियों में चल रही बीसीपीए की एक अच्छी और पारदर्शी व्यवस्था को खत्म कर सीधे आढ़ती के खाते में भुगतान करने प्रणाली पूरी तरह विफल साबित हो रही है। आज आठ दिन बाद भी किसानों से खरीदी गई गेहूं का भुगतान आढ़तियों के खाते में नहीं आया है, जबकि सरकार सात दिन में भुगतान का दावा कर रही थी। उन्होंने बताया कि लाडवा मंडी में खरीद कर रही दोनों एजेंसियों ने 19 अप्रैल तक 27 करोड़ रुपये से अधिक की गेहूं खरीद कर ली है, जिसमें से जिला खाद्य आपूर्ति विभाग ने 13 करोड़ 59 लाख रुपये व हैफेड ने 13 करोड़ 85 लाख रुपये की गेहूं खरीदी है। मंडी प्रधान विमलेश गर्ग ने कहा कि आठ दिन में भुगतान नहीं हुआ है और शनिवार व रविवार का अवकाश होने के चलते भुगतान सोमवार तक टल गया है।


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