एक घर सुना रहा Environment protection की दास्तां, टॉयलेट सीट में कैक्टस, प्लास्टिक के कट्टे में सजावटी
जिन चीजों को बेकार समझकर लोग घर से बाहर फेंक देते हैं उन्हीं चीजों को एकत्रित कर यह परिवार गार्डनिंग कर रहा है।
कुरुक्षेत्र [विनीश गौड़]। हरियाणा की धरती का ऐतिहासिक शहर कुरुक्षेत्र। शहर में एक घर ऐसा है, जिसे लोग ईको हाउस के नाम से भी जानते हैं। इस घर में रहने वाला हरेक शख्स दूसरों के लिए पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बन रहा है। जिन चीजों को बेकार समझकर लोग घर से बाहर फेंक देते हैं, उन्हीं चीजों को एकत्रित कर यह परिवार गार्डनिंग कर रहा है।
शहर में न्यू शांति नगर स्थित पंजाब लोकल गवर्नमेंट डिपार्टमेंट के असिस्टेेंट डायरेक्टर के पद पर तैनात पर्यावरणविद् नरेश भारद्वाज का इको हाउस जीरो प्रतिशत कूड़ा प्रोड्यूस करने वाला घर भी बन गया है। जिलेे ही नहीं प्रदेशभर में शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां से कचरा निकलने के बजाय बाहर का कचरा भी खप रहा होगा। इस घर में रसोई से निकलने वाले कचरे से भी पेड़-पौधों के लिए खाद बनाई जा रही है। वहीं, टूटी फूटी प्लास्टिक में पौधेे तैयार कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। घर के बाहर छोटा सा बगीचा भी पर्यावरण संरक्षण की उम्दा मिसाल है, जहां टॉयलेट की सीट में कैक्टस और अनार का पौधा तथा प्लास्टिक के कट्टे में सजावटी पेड़ लगे हैं।
लोग बेकार सामान बाहर फेंकते हैं, ये उठाकर घर ले आते हैं
परिवार की गतिविधि देखकर आपको पहले भले अजीब लगे, मगर जब इसे समझेंगे तो पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा मिलेगी। लोग अपने घर से निकलने वाले बेकार सामान को बाहर फेंकते हैं, लेकिन यह परिवार ऐसा है जो दूसरों के फेंके टूटे फूटे सामान को एकत्रित कर घर में लाकर उनमें भी जीवन का संचार कर देता है। इनके ईको हाउस में बेकार थर्मोकोल में रसोई गार्डनिंग की जा रही है, जिसमें धनिया, मेथी उगाई जा रही है। इसके अलावा दही के कप, डिब्बों में सजावटी पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
घर से निकलने वाली कोई चीज कूड़ा नहीं : नरेश भारद्वाज
पंजाब लोकल गर्वनमेंट डिपार्टमेंट के असिस्टेेंट डायरेक्टर के पद पर तैनात पर्यावरणविद् नरेश भारद्वाज बताते हैं कि घर से निकलने वाली कोई भी चीज कूड़ा नहीं है। लोगों को सिर्फ कूड़ा प्रबंधन के बारे में ज्ञान होना चाहिए। जब वे या उनके बच्चे किसी के घर के बाहर बेकार टॉयलेट की सीट, वॉशबेसिन, थर्मोकोल या प्लास्टिक का कोई सामान देखते हैं तो उठाकर घर ले आते हैं। उसमें गार्डनिंग करते हैं। घर की रसोई से निकलने वाले गीले कचरे को खाद बनाने में प्रयोग किया जा सकता है, जबकि पॉलिथिन का प्रयोग फ्यूल के तौर पर सीमेंट फैक्टरी में होता है, इसलिए कुछ भी बेकार नहीं है।
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