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एलएनजेपी को मिली ईएनटी आपरे¨टग माइक्रोस्कोप मशीन

विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र : अब कान का नया पर्दा लगवाने के लिए मरीजों को निजी अस्पतालों में नहीं जाना पड़ेगा। एलएनजेपी अस्पताल के ईएनटी विभाग को ईएनटी आपरे¨टग माइक्रोस्कोप मशीन मिली है। इस मशीन के आने से कान के पर्दे का आपरेशन एलएनजेपी अस्पताल में ही हो सकेगा। निजी अस्पतालों में इसके लिए मरीजों को पांच से 15 हजार रुपये तक जेब ढीली करनी पड़ती है। यही उपचार अब उन्हें मुख्य अस्पताल में पांच रुपये की पर्ची पर मिल सकेगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 06:53 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 06:53 PM (IST)
एलएनजेपी को मिली ईएनटी आपरे¨टग माइक्रोस्कोप मशीन
एलएनजेपी को मिली ईएनटी आपरे¨टग माइक्रोस्कोप मशीन

विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र : अब कान का नया पर्दा लगवाने के लिए मरीजों को निजी अस्पतालों में नहीं जाना पड़ेगा। एलएनजेपी अस्पताल के ईएनटी विभाग को ईएनटी आपरे¨टग माइक्रोस्कोप मशीन मिली है। इस मशीन के आने से कान के पर्दे का आपरेशन एलएनजेपी अस्पताल में ही हो सकेगा। निजी अस्पतालों में इसके लिए मरीजों को पांच से 15 हजार रुपये तक जेब ढीली करनी पड़ती है। यही उपचार अब उन्हें मुख्य अस्पताल में पांच रुपये की पर्ची पर मिल सकेगा। कान में छेद की बीमारी से जूझ रहे मरीज व उनके परिजनों के लिए यह बड़ी राहत होगी। एलएनजेपी अस्पताल में कान के छेद की समस्या को लेकर ओपीडी में रोजाना कई लोग आ रहे हैं। लंबे समय के बाद मिला ईएनटी डॉक्टर

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लंबे समय के बाद इसी साल जिले को दो ईएनटी चिकित्सक मिले हैं। इससे पहले नाक-कान-गला के मरीजों को उपचार कराने के लिए या तो दूसरे जिलों के सरकारी अस्पतालों में जाना पड़ता था या फिर निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता था, लेकिन इसी वर्ष सरकार ने दो ईएनटी चिकित्सक डॉ. विजय और डॉ. विक्रम जिले में तैनात किए हैं। यहां तक कि मेडिकल कराने वाले कैंडिडेट को भी दूसरे जिलों के सरकारी अस्पतालों तक भागना पड़ता था। चिकित्सक मिलने के बाद अब ईएनटी विभाग की ओपीडी 80 पहुंच गई है। ऐसे हो सकता है कान में छेद

-नदी, नहरों में नहाने के बाद कई लोगों के कान बहने लगते हैं।

-लंबे समय तक जुकाम होने की वजह से भी कान बहने लगते हैं। ऐसी स्थिति में भी कान के पर्दे में छेद हो सकता है।

-कई बच्चों के कान के पर्दे में जन्मजात ही छेद होता है। बाहर महंगा है इलाज : डॉ. विक्रम

ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. विक्रम ने बताया कि निजी अस्पतालों में यह इलाज महंगा है। पर्दा बदलने की मशीन पहले अस्पताल में नहीं थी। मगर अब छोटे आपरेशन के जरिए मरीजों के कान में नया पर्दा लगाया जा सकता है। ओपीडी में बहुत से ऐसे मरीज आ रहे थे, जिनके कान में छेद हैं।


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