प्लास्टिक में कन्या को भोजन परोस कर न करें उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़
ग्रीन अर्थ संगठन ने लोगों को अष्टमी पर कन्या पूजन करते समय प्लास्टिक और थर्मोकोल से बने बर्तनों का उपयोग ना करने की सलाह दी है। संगठन की ओर से श्रद्धालुओं को जागरूक किया जा रहा है कि इनके प्रयोग से कन्याओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। कन्या पूजन करते समय उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इनका उपयोग कतई ना करें।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : ग्रीन अर्थ संगठन ने लोगों को अष्टमी पर कन्या पूजन करते समय प्लास्टिक और थर्मोकोल से बने बर्तनों का उपयोग ना करने की सलाह दी है। संगठन की ओर से श्रद्धालुओं को जागरूक किया जा रहा है कि इनके प्रयोग से कन्याओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। कन्या पूजन करते समय उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इनका उपयोग कतई ना करें। इनके लगातार उपयोग से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों तक हो सकती हैं। संगठन की सदस्य मोनिका भारद्वाज ने कहा कि पिछले एक दशक से नवरात्रों सहित अन्य धार्मिक व सामाजिक अनुष्ठानों में प्लास्टिक का प्रयोग एकदम कई गुना बढ़ गया है। अधिकतर लोग जलपान एवं भोज के लिए पत्तल-दोने प्लास्टिक और थर्मोकोल का उपयोग कर रहे हैं। जर्नल एन्वायरमेंट सांइस एवं टेक्नालॉजी की रिपोर्ट अनुसार मानव के पेट में हर साल करीब 50000 माइक्रो प्लास्टिक कण पहुंच कर सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यही कभी भी ना गलने वाली प्लास्टिक-थर्मोकोल की प्लेटें, थाली, गिलास, कप, चम्मच कैंसर का मुख्य कारण हैं। संगठन के सचिव डॉ. अशोक चौहान ने लोगों से अपील की है की एक जिम्मेदार नागरिक बनकर नवरात्रों व जागरणों में जलपान एवं भोज के लिए स्टील का प्रयोग करें। कन्या पूजन में उनकी सेहत को देखते हुए प्लास्टिक का उपयोग ना करें।