साप्ताहिक साक्षात्कार : मामूली सी गांठ को भी नहीं करें नजरअंदाज : डॉ. विनोद
जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र शरीर के किसी भी हिस्से में अगर मामूली सी गांठ भी हो जाए तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : शरीर के किसी भी हिस्से में अगर मामूली सी गांठ भी हो जाए तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। एलएनजेपी अस्पताल की लैब में पिछले एक साल में हुए एफएनएसी की जांच रिपोर्ट के आंकड़ों को देखकर तो ऐसा ही प्रतीत होता है। यहां फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी की जांच में छह प्रतिशत मरीजों को समय से कैंसर होने की पुष्टि हो गई, जिसके बाद उनका इलाज शुरू हो गया। इसके अलावा 20 प्रतिशत मरीज क्षय रोगी पाए गए, जबकि 24 प्रतिशत लोगों को चर्बी की गांठ निकली। बाकि बचे 50 प्रतिशत लोगों को गांठ में सामान्य इंफेक्शन पाया गया। एलएनजेपी अस्पताल के पैथोलॉजिस्ट डॉ. विनोद कुमार से विशेष बातचीत में संवाददाता विनीश गौड़ को बताया कि लोगों की जागरूकता की वजह से समय रहते उन्हें बीमारी का पता लग जाता है और समय पर उपचार शुरू होने से बीमारी को बढ़ने से पहले ही नियंत्रित किया जा सकता है। प्रश्न : क्या इसकी जांच करानी ज्यादा कष्टदायक तो नहीं?
उत्तर : बीमारी बढ़ने से पहले ही अगर उसका उपचार शुरू कर दिया जाए तो भविष्य में व्यक्ति एकदम स्वस्थ व्यक्ति का जीवन जी सकता है। फिर भी जांच करने की प्रक्रिया कोई कष्टकारी नहीं है। मरीज के जिस भी अंग पर गांठ होती है। वहां से उसे गांठ में से इंजेक्शन के माध्यम से पदार्थ ही लेकर उसकी जांच की जाती है। प्रश्न : एक साल में कितने मरीजों ने गांठ की जांच कराई है?
उत्तर : एलएनजेपी अस्पताल की प्रयोगशाला में एक साल में 278 मरीजों ने शरीर के अंगों पर होने वाली गांठ की जांच कराई है। इन मरीजों को जांच के एक या दो दिन के बाद रिपोर्ट दे दी जाती है। प्रश्न : कैंसर और सामान्य गांठ में फर्क क्या होता है?
उत्तर : देखिए, यह कहना मुश्किल होगा। बिना जांच के गांठ को देखकर अनुमान नहीं लगाया जा सकता। पुख्ता रिपोर्ट जांच के बाद ही होती है। मगर फिर भी कैंसर की गांठ काफी सख्त होती है। मगर बिना जांच कराए किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए। शरीर पर किसी भी गांठ होने पर जल्द उसकी जांच कराएं। नाम : डॉ. विनोद कुमार
पद : पैथोलॉजिस्ट
स्थान : एलएनजेपी अस्पताल प्रयोगशाला