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गीता के साक्षी वट वृक्ष को सांस्कृतिक विरासत घोषित करने की मांग

ग्रीन अर्थ संगठन ने गीता साक्षी वट वृक्षों और ज्योतिसर तीर्थ परिसर को सांस्कृतिक विरासत घोषित करने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 08:45 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 08:45 AM (IST)
गीता के साक्षी वट वृक्ष को सांस्कृतिक विरासत घोषित करने की मांग
गीता के साक्षी वट वृक्ष को सांस्कृतिक विरासत घोषित करने की मांग

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :

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ग्रीन अर्थ संगठन ने गीता साक्षी वट वृक्षों और ज्योतिसर तीर्थ परिसर को सांस्कृतिक विरासत घोषित करने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, पुरातत्व विभाग और केंद्र सरकार को भी पत्र भेजकर अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के मौके पर ही यह घोषणा करने की मांग की है।

ग्रीन अर्थ संगठन के सदस्य डॉ. नरेश भारद्वाज ने कहा कि वह लगातार नौ साल से मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, पुरातत्व विभाग व केंद्र सरकार से मांग कर रहें है की गीता साक्षी वट वृक्षों तथा मंदिर परिसर को विश्व या राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत घोषित किया जाये। संगठन के पदाधिकारी पूर्व केंद्रीय पर्यटन मंत्री डॉ. महेश शर्मा से मिलकर भी इस बारे मांग कर चुके हैं लेकिन उन्हें खाली आश्वासन ही मिला है। इस मांग के लिए ग्रीन अर्थ संगठन ने वर्ष 2015 में अनशन किया था और पेड़ों पर लगे प्लास्टिक के जाल काट दिए थे।

सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड तथा पुरातत्व विभाग हरियाणा भी स्वीकार कर चुका है इन वट वृक्षों के नीचे ही भगवान श्री कृष्ण ने 5155 वर्ष पहले अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यह वृक्ष राष्ट्रीय महत्व के हैं। गीता जयंती को अंतराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है, प्रदेश के स्कूल पाठ्यक्रम में गीता के श्लोकों को शामिल किया है। इसके साथ ही अदालत में भी पवित्र गीता पर हाथ रखकर शपथ दिलाई जाती है। इसके बावजूद गीता साक्षी वट वृक्षों तथा च्योतिसर मंदिर परिसर को सांस्कृतिक विरासत घोषित करने की ओर सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। संगठन की निदेशिका वरिदर कौर ने कहा की यदि सरकार गीता के अस्तित्व को स्वीकार करती है तो च्योतिसर तथा गीता साक्षी वट वृक्षों तथा च्योतिसर को भी सांस्कृतिक विरासत घोषित करना चाहिए। इससे कुरुक्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।


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