छठी कक्षा से दसवीं तक संस्कृत को अनिवार्य विषय बनाने की मांग उठाई
संस्कृत और संस्कृति को बचाने के लिए समाजिक संगठनों को आगे आकर नई पीढ़ी को राष्ट्रवाद के साथ जोड़ने की पहल करनी होगी।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : महर्षि वाल्मिकी संस्कृत विश्वविद्यालय मुंदड़ी कैथल के कुलपति डॉ. श्रेयांस द्विवेदी ने कहा कि भारत को परम वैभवशाली और विश्वगुरु बनाने के लिए एक विचारधारा और उद्देश्य को लेकर कार्य करना होगा। संस्कृत और संस्कृति को बचाने के लिए समाजिक संगठनों को आगे आकर नई पीढ़ी को राष्ट्रवाद के साथ जोड़ने की पहल करनी होगी। डॉ. द्विवेदी हरियाणा ब्राह्मण धर्मशाला एवं छात्रावास कुरुक्षेत्र वीर ब्राह्मण महासंगठन के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। संगठन की ओर से मंच से ही सरकार से संस्कृत को कक्षा छठी से दसवीं तक संस्कृत को अनिवार्य विषय बनाने की मांग उठाई।
डॉ. श्रेयांस द्विवेदी ने कहा कि अनेक बार सरकारों ने संस्कृत के सम्मान और विकास की बड़ी-बड़ी बातें की, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि बीते वर्ष कैथल में वर्तमान सरकार ने महर्षि वाल्मीकि संस्कृत वेद विश्वविद्यालय की स्थापना की जो सराहनीय है। सरकार ने अपना दायित्व निभा दिया अब समाज की बारी है। हमें संस्कृत के प्रति नई पीढ़ी में रुचि पैदा करनी होगी। हरियाणा में आज पांच हजार के करीब संस्कृत के अध्यापक और प्राध्यापक हैं । इस अवसर पर वीर ब्राह्मण महासंगठन संस्कृत प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र मोहन मिश्र ने कहा कि ब्राह्मण समाज को समाजिक चेतना का अग्रदूत बनकर अलख जगानी होगी। वीर ब्राह्मण महासंगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन शर्मा पहलवान ने अतिथियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया । पहलवान ने समाज के उपस्थित लोगों को आभार जताया और महासंगठन के कार्यों का विवरण दिया।