Move to Jagran APP

बेटी बोलती थी..तेरा सहारा बनूंगी मां, बेसहारा गोवंशी ने छीना सब कुछ

शाहाबाद की लक्की कालोनी निवासी 11 वर्षीय पल्लक की दो सांडों की लड़ाई के दौरान बीच में आने से मौत होने पर स्वजन ही नहीं पूरा कस्बा चितित है। स्वजन जहां बार-बार अपनी बेटी को याद कर उसकी बातों का जिक्र कर बिलख रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Aug 2022 11:20 PM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2022 11:20 PM (IST)
बेटी बोलती थी..तेरा सहारा बनूंगी मां, बेसहारा गोवंशी ने छीना सब कुछ
बेटी बोलती थी..तेरा सहारा बनूंगी मां, बेसहारा गोवंशी ने छीना सब कुछ

जतिद्र सिंह चुघ, शाहाबाद :

loksabha election banner

शाहाबाद की लक्की कालोनी निवासी 11 वर्षीय पल्लक की दो सांडों की लड़ाई के दौरान बीच में आने से मौत होने पर स्वजन ही नहीं पूरा कस्बा चितित है। स्वजन जहां बार-बार अपनी बेटी को याद कर उसकी बातों का जिक्र कर बिलख रही है। वहीं शहरवासियों में गोवंश को समय पर न हटाने को लेकर नगरपालिका व प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ रोष है। बेसहारा गोवंश का दर्द अकेले शाहाबाद का नहीं है। यह थानेसर, पिहोवा, लाडवा और इस्माईलाबाद में भी है। पिछले महीने करीब छह हादसे गोवंश के चलते हो चुके हैं। लाडवा में एक व्यक्ति अपनी जान गवां चुका है। यह गोवंश से जिले में दूसरी मौत है।

रोती-बिलखती हुई मां पिकी के मुंह से यह शब्द निकल रहे थे कि..पल्लक कहती थी.. मां तू चिता न कर मैं पढ़ लिख कर तेरा सहारा बनूंगी.., लेकिन वह तो मुझे बेसहारा छोड़ कर चली गई। पिकी ने बताया कि जब वह घरों से काम कर थक हार कर वापस लौटती तो नन्हीं सी जान अपने हाथों से उसे चाय और पानी पिलाती थी। पिकी ने कहा कि उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इतने अरमानों से जिसे पाल रही है एक प्रशासन की लापरवाही और सांडों की भेंट चढ़ जाएगी।

सफेद रिबन की जगह नसीब हुई सफेद चदर

पिकी ने कहा कि बुधवार को पल्लक के स्कूल में कोई कार्यक्रम था और उसकी बेटी बाजार से सफेद रिबन लेकर आई थी। लेकिन उसे नहीं पता था कि उसे सफेद रिबन की जगह सफेद चदर नसीब हो जाएगी। पिकी ने कहा कि पल्लक बेशक उम्र में छोटी थी लेकिन हर काम में वह उसका हाथ बंटाती थी। हर मां की आरजू होती है कि वह अपनी बेटी को डोली में रुखसत करें, लेकिन होनी ने न जाने कैसा खेल खेला की फूल जैसी बच्ची की अर्थी उठी है।

अनदेखी का हो गई शिकार पिछले करीब एक माह से शहरवासी सड़कों पर बेसहारा गोवंश के चलते परेशानी झेल रहे थे। इसके लिए प्रशासन के सामने समाधान की मांग भी उठाई गई थी। लेकिन कहीं कोई असर दिखाई नहीं दिया। यही लापरवाही अभी भी लोगों के लिए जानलेवा बनी हुई है।

शहर की संस्थाओं ने जताई चिता

बच्ची की मौत पर शाहाबाद की सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं ने शोक व्यक्त किया और पूरे मामले को लेकर चिता जताई। समाज सेवी राजू चावला, राज सतीजा, हेल्पर्स के प्रधान तिलक राज अग्रवाल, नर-नारायाण सेवा समिति के संस्थापक मनीष भाटिया, हेल्पिग हेंड के प्रदीप कुकरेजा, शाहाबाद सुधार मंच के लोकेश मल्होत्रा, रोटरी क्लब से डा. आरएस घुम्मन, एडवाकेट आरडी गुप्ता ने इस घटना पर शोक व्यक्त करते हुए जिला प्रशासन से मांग की है कि शहर को पशुओं से मुक्ति दिलाई जाए।

दुख की घड़ी में परिवार के साथ : रामकरण

हादसे के बाद शुगरफेड चेयरमैन एवं विधायक रामकरण काला और नपा प्रधान डा. गुलशन क्वात्तरा ने सिविल अस्पताल में पहुंच मृतक बच्ची के परिजनों का ढांढस बंधाया। इसके साथ ही उन्होंने तत्काल प्रभाव से सांडों को पकड़कर शहर से बाहर करने के निर्देश दिए। विधायक ने कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि प्रदेश सरकार की ओर से मृतक बच्ची के परिजनों को आर्थिक सहायता दिलाई जाए। उन्होंने बेसहारा पशुओं की समस्या को विधानसभा में भी उठाया था। बेसहारा पशु पकड़कर गोशाला में छोड़े जाते हैं, लेकिन गोशाला वाले बाद में इन पशुओं को छोड़ देते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.