क्रिकेट सम्राट पढ़कर उबाल लेता था खेल का जोश : रावत
सालों पहले क्रिकेट के दिवाने खेल पत्रिका क्रिकेट सम्राट के भी दीवाने थे। दिन भर क्रिकेट सम्राट पढ़ने के बाद जोश में भरे खिलाड़ी मैदान में उतरते थे और अपने पंसदीदा खिलाड़ी की टेक्नीक अपनाते हुए अभ्यास में जमकर कर पसीना बहाते थे।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सालों पहले क्रिकेट के दिवाने खेल पत्रिका क्रिकेट सम्राट के भी दीवाने थे। दिन भर क्रिकेट सम्राट पढ़ने के बाद जोश में भरे खिलाड़ी मैदान में उतरते थे और अपने पंसदीदा खिलाड़ी की टेक्नीक अपनाते हुए अभ्यास में जमकर कर पसीना बहाते थे। अब इंटरनेट का जमाना आने पर क्रिकेट सम्राट का दौर भी जाता रहा। 1986 से लेकर अभी तक क्रिकेट से जुड़े कुरुक्षेत्र द्रोणाचार्य स्टेडियम के वरिष्ठ क्रिकेट कोच राकेश रावत का कहना है कि अब वह दौर नहीं रहा। पहले क्रिकेट के दीवाने बड़े जुनून के साथ इस मैगजीन को पढ़ते थे। आज की युवा पीढ़ी सबकुछ इंटरनेट की मदद से इंटरनेट पर देखती है। आज की पीढ़ी को पहले की बजाय ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं।
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान हुए घाटे के चलते पिछले 42 साल से प्रकाशित हो रही क्रिकेट सम्राट पत्रिका का प्रकाशन बंद कर दिया गया है। अपने समय में यह पत्रिका क्रिकेट प्रेमियों में काफी लोकप्रिय रही है। इस पत्रिका में क्रिकेट से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी उपलब्ध रहती थी। ऐसे में क्रिकेट के दीवाने इस पत्रिका को भी मन लगाकर पढ़ते थे। 1986 में अपनी पढ़ाई पूरी कर शाहाबाद के गर्ल्स कॉलेज में महिलाओं की क्रिकेट टीम तैयार करने वाले द्रोणाचार्य स्टेडियम में क्रिकेट कोच राकेश रावत ने कहा कि उन दिनों में क्रिकेट सम्राट पत्रिका का काफी क्रेज रहा है। समय के साथ सब कुछ बदल रहा है। अब इंटरनेट पर उपलब्ध कई तरह की एप ने सबकुछ आसान कर दिया है। ऐसे में क्रिकेट से जुड़ी सभी जानकारियां एक क्लिक पर उपलब्ध होने लगी हैं। इसी के चलते पिछले कई सालों से लोगों का क्रिकेट सम्राट पत्रिका के प्रति रुझान भी कम हुआ। टीवी और मोबाइल के जमाने ने नई पीढ़ी के लिए सबकुछ आसान कर दिया है। राकेश रावत 1987 से 89 तक भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में खेल कोच रहे और उसके बाद से प्रदेश खेल विभाग में बतौर क्रिकेट कोच सेवाएं दे रहे हैं।