अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के लिए मांगा संस्थाओं से सहयोग
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : डीसी डॉ. एसएस फुलिया ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव को भव्य बनाने के लिए धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग की बहुत जरुरत रहेगी। इनके बिना महोत्सव को सफल नहीं बनाया जा सकता। इसलिए इस महोत्सव की गरिमा को बनाए रखने और विश्वभर में गीता महोत्सव की पहचान बनाने का प्रयास किया जाना है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : डीसी डॉ. एसएस फुलिया ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव को भव्य बनाने के लिए धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग की बहुत जरुरत रहेगी। इनके बिना महोत्सव को सफल नहीं बनाया जा सकता। इसलिए इस महोत्सव की गरिमा को बनाए रखने और विश्वभर में गीता महोत्सव की पहचान बनाने का प्रयास किया जाना है। वे सोमवार को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सभागार में गीता महोत्सव 2018 पर सुझाव लेने के लिए विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों की एक बैठक ले रहे थे।
डीसी ने कहा कि गीता महोत्सव सात से 23 दिसंबर और मुख्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन 13 से 18 दिसंबर तक ब्रह्मासरोवर के तट पर किया जाएगा। इस महोत्सव को बेहतर बनाने, सहयोग, मार्गदर्शन और संस्थाओं के प्रतिनिधियों के अनुभवों को सांझा करने के लिए संस्थाओं के प्रतिनिधियों का सहयोग लिया जाएगा। प्रशासन की तरफ से सभी संस्थाओं को सात नवंबर तक गीता महोत्सव के सभी कार्यक्रमों के शेड्यूल से संबंधित बैनर दिए जाएंगे ताकि संस्थाओं के प्रतिनिधि इस बैनर के माध्यम से महोत्सव का प्रचार-प्रसार कर सके। 18 दिसंबर को दोपहर के समय केडीबी से निकाली जाने वाली शोभायात्रा में सभी संस्थाओं का सहयोग जरुरी है। केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि इस महोत्सव से कुरुक्षेत्र की गरिमा जुड़ी है और इसका आयोजन भव्य तरीके से करना है ताकि कुरुक्षेत्र की पूरे विश्व में पहचान बन सके। गत वर्ष 28 लाख 50 हजार लोग देखने के लिए आए और इस वर्ष भी इस महोत्सव को कुम्भ की तरह पहचान देने का प्रयास किया जाएगा। ये होंगे पैवेलियन छाबड़ा ने कहा कि हरियाणा पैवेलियन, गुजरात राज्य का पैवेलियन, क्वीज व प्रदर्शनी और मंदिरों को भव्य तरीके से सजाने का प्रयास किया जाएगा। इस बार संस्थाओं को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जाएगी और सभी सुझावों पर अमल किया जाएगा। बाक्स
ये आए सुझाव इस्कान संस्था से साक्षी गोपाल दास ने कहा कि उनकी तरफ से विभिन्न देशों से बेहतरीन कलाकार और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को करवाया जा सकता है। इसके लिए समय तय करना होगा और प्रदर्शनी के लिए अच्छा स्थल देना होगा। ब्रह्माकुमारी आश्रम से सुझाव रखा गया कि ब्रह्मासरोवर पर निरंतर चलने वाले गीतों में उनकी संस्था के गीतों को जोड़ा जाए। सेमिनार के लिए उचित समय दिया जाए। स्थाणीश्वर महादेव मंदिर से ज्ञानचंद सचदेवा ने संस्थाओं के लिए अलग स्थान, माटी कला बोर्ड के सदस्य रामकुमार रम्भा ने मिट्टी के बर्तनों की प्रदर्शनी के लिए पर्याप्त स्थान, जयराम विद्यापीठ से राजेश ¨सगला व खरैती लाल ने शोभा यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था और पुरुषोत्तमपुरा बाग के सुबह के कार्यक्रमों में बेहतर व्यवस्था बनाने के सुझाव दिए।