रिटायर्ड बैंक अधिकारी ने चायवाले को करोड़ों का देनदार के मामले में सिबिल को भेजी शिकायत
बैंक चार दिन बाद भी चायवाले राजकुमार की सिबिल रिपोर्ट ठीक नहीं करा पाए हैं। लीड बैंक मैनेजर ने लोन का स्टेट्स बताने के साथ सिबिल को पत्र लिखकर आश्वासन का लिफाफा पकड़ा दिया। राजकुमार को बैंक के झटकों के बाद उसके परिवार में भी बड़ा झटका लगा है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : बैंक चार दिन बाद भी चायवाले राजकुमार की सिबिल रिपोर्ट ठीक नहीं करा पाए हैं। लीड बैंक मैनेजर ने लोन का स्टेट्स बताने के साथ क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (सिबिल)को पत्र लिखकर आश्वासन का लिफाफा पकड़ा दिया। राजकुमार को बैंक के झटकों के बाद उसके परिवार में भी बड़ा झटका लगा है। उसके बड़े भाई की दो दिन पहले मौत हो गई। इन सबके बीच रिटायर्ड बैंक प्रबंधक एसके सेठ इस मामले को लेकर आगे आए हैं। उन्होंने सिबिल को पूरे मामले की जानकारी मेल के माध्यम दी है। उन्होंने राजकुमार की सिबिल रिपोर्ट ठीक करने की मांग की है।
सेक्टर-5 के एसके सेठ ने बताया कि राजकुमार की सिबिल रिपोर्ट बारीकी से देखी हैं। इसमें कई बड़े सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने सिबिल को मेल कर रिपोर्ट ठीक करने की मांग की है। एसके सेठ ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को 50.76 करोड़ के लोन देने या उसकी इंक्वायरी को गंभीरता से लिया जाता है, लेकिन इस मामले में नीचे से लेकर ऊपर तक किसी ने गंभीरता के साथ नहीं लिया। इन्हीं अनदेखियों के चलते एक सामान्य व्यक्ति इतनी बड़ी देनदारी के रिकॉर्ड को लेकर घूम रहा है। स्थानीय बैंक अधिकारियों को इस मामले को गंभीरता के साथ लेने की जरूरत है।
बैंक अधिकारियों ने गड़बड़ मानी ठीक नहीं की
राजकुमार ने बताया कि वह पिछले लंबे दिनों से बैंकों के चक्कर काट रहा है। दैनिक जागरण में मामला आने के बाद एलडीएम ने उसको बुलाया था। उन्होंने प्राथमिक जांच में ही पूरे मामले में गड़बड़ी मानी थी। उन्होंने कई लोन उसके खाते में दिखाए, जबकि उसने 20 हजार रुपये का मुद्रा लोन लिया है। लाखों के लोन को लेकर अधिकारी स्पष्ट नहीं कह रहे। इसके साथ सिबिल में करोड़ों की इंक्वायरी और लोन दिखाना भी स्पष्ट नहीं किया जा रहा है। दो दिन पहले उसके बड़े भाई की अचानक मौत हो गई। उस पर दूसरी आफत भी पड़ गई है। वह सोमवार को फिर से अधिकारियों को मिलेगा।
यह है मामला
दयालपुर गांव के राजकुमार ने 2015 में मुद्रा लोन लिया था। उस समय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने उसका लोन मंजूर किया था। वह अब एक फाइनेंस कंपनी में लोन लेने गया तो उसकी सिबिल रिपोर्ट ठीक नहीं बताई गई। उसकी सिबिल रिपोर्ट में 50.50 करोड़ रुपये का बड़ा लोन 27 अप्रैल 2013 का दिखाया गया है। यह लोन कॉमर्शियल व्हीकल का है। इसके साथ 15 और लोन की स्टेटस उसकी रिपोर्ट में दर्शाए गए हैं। दैनिक जागरण ने 21 जुलाई के अंक में मामले को प्रमुखता के साथ उठाया था।