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जर्जर भवनों में लग रही कक्षाएं, सांसत में जान

जिलेभर में कई जगह जर्जर भवनों में बैठ कर नौनिहाल शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। भवनों की हालत को देखते हुए शिक्षक डर के साये में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। आम दिनों में तो इन जर्जर भवनों में बच्चों को बैठाना जोखिम भरा काम है ही बरसात के दिनों में खतरा और बढ़ जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 07:10 AM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 07:10 AM (IST)
जर्जर भवनों में लग रही कक्षाएं, सांसत में जान
जर्जर भवनों में लग रही कक्षाएं, सांसत में जान

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जिलेभर में कई जगह जर्जर भवनों में बैठ कर नौनिहाल शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। भवनों की हालत को देखते हुए शिक्षक डर के साये में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। आम दिनों में तो इन जर्जर भवनों में बच्चों को बैठाना जोखिम भरा काम है ही बरसात के दिनों में खतरा और बढ़ जाता है। बरसाती सीजन के चलते कमरों की दीवारों और छतों में आई सीलन के चलते कई बार प्लास्टर के टुकड़े टूट कर गिरते रहते हैं। इस बारे में कई बार उच्चाधिकारियों को जानकारी देने पर भी कार्रवाई नहीं हो रही है। ऐसे में बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों में भी किसी अनहोनी का भय बना हुआ है। अधिकारी उच्चाधिकारियों को सूचना भेजने और प्रोसेस जारी होने की बात कह रहे हैं। कई स्कूलों में घुसा बाढ़ का पानी

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मारकंडा नदी में उफान के चलते इसके साथ लगते गांवों के स्कूलों में कई दिनों से पानी घुसा हुआ है। गांवों के रास्ते बंद होने और स्कूलों में पानी घुसने पर इनकी छुट्टी कर दी गई है। इनमें से कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां पर निचाई में बने कमरों में भी पानी घुस गया है। ऐसे में कमरों की हालत जल्दी जर्जर हो जाती है। जबकि कइयों के कमरों को सालों पहले से अनसेफ प्रमाणपत्र दिए जाने के बाद भी अभी तक वहां नये कमरों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। थानेसर में रेलवे रोड स्थित नाथ मंदिर, लाडवा के मेहरा, बाबैन के बरगट जट्टान और थानेसर के ही बहादरपुरा और सुनहेड़ी खालसा में कई कमरे ऐसे हैं जहां से प्लास्टर के टुकड़े टूट-टूट कर ढह रहे हैं। शिक्षकों को बच्चे पढ़ाने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा को देखते हुए छतों और दीवारों पर भी ध्यान रखना पड़ता है। कई स्कूलों के लिए बजट पहुंचा अब डिजाइनिग सेक्शन पर अटका है मामला

जिला शिक्षा अधिकारी अरुण आश्री ने बताया कि समय-समय पर शिक्षकों की ओर से भेजी गई जानकारी के अनुसार वह कमेटी को रिपोर्ट भेजते हैं। उसके बाद एडीसी के नेतृत्व में गठित अधिकारियों की कमेटी जांच करती है और अनसेफ सर्टिफिकेट प्रदान करती है। इसके बाद कमरा ढहाने के बाद नये भवन का निर्माण करवाया जाता है। अभी किरमिच, बीड़ मथाना और ग‌र्ल्स स्कूल के लिए बजट आया हुआ है। इनका निर्माण कार्य शुरू करवाया जाएगा। उन्होंने सभी स्कूलों को निर्देश जारी कर रखे हैं कि कंडम कमरों में बच्चों को ना बैठाया जाए।


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