दावे हवा, नहीं पहुंचा बारदाना
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गेहूं के सीजन शुरू होने से पहले भले ही प्रदेश सरकार से लेक
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गेहूं के सीजन शुरू होने से पहले भले ही प्रदेश सरकार से लेकर कृषि मंत्री तक गेहूं खरीद के बड़े-बड़े दावे करते रहे। 1 अप्रैल से घोषित गेहूं की खरीद के चार दिन के बाद भी कुरुक्षेत्र मंडी से न तो एक भी दाना गेहूं का खरीद गया है और न ही आढ़तियों के पास बारदाना पहुंचा है। ऐसे में आढ़ती से लेकर किसान तक सरकारी तंत्र पर रो रहे हैं कि एक तरफ नेताओं के बयान ऐसे आते हैं जैसे अभी काम हो जाएगा वहीं अधिकारी न तो सरकार के दावों की परवाह करते हैं और न ही मंत्रियों की। मंगलवार को भी कुरुक्षेत्र मंडी में यही स्थिति रही।
किसान मंडी से गेहूं तो लेकर आए, लेकिन उन्हें खरीदार नहीं मिला। क्षेत्र में गेहूं की कटाई का कार्य शुरू हो चुका है और कई गांवों में किसानों ने कंबाइन से गेहूं की कटाई भी शुरू कर दी है। ऐसे में मंडियों में भी मंगलवार को गेहूं आने लगा है, लेकिन किसान मंडी में आने के बाद मायूस नजर आए। आढ़तियों ने बारदाना न होने की बात कहकर कई किसानों को मंडी में गेहूं न लाने की सलाह दी।
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देखने भी नहीं आते अधिकारी : बनी
आढ़ती बनी ¨सह का कहना है कि सरकार के दावे झूठे हैं कि समय पर गेहूं की खरीद होगी। उन्होंने कहा कि अभी तक खरीद एजेंसियों के अधिकारी गेहूं में नमी का बहाना बनाकर मंडी में बुलाने पर भी नहीं आते। कहने पर वहीं से कह देते हैं कि अभी गेहूं में नमी होगी। उनका कहना है कि जब मंडी में गेहूं आने लगा है तो खरीद शुरू कर देनी चाहिए। हर बार ऐसा होता कि दावे कुछ किए जाते हैं और जब काम शुरू होता है तो न तो अधिकारी कार्य करते हैं और न ही नेताओं से कुछ कहते बनता है।
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बारदाना ही नहीं आया : राजेश कुमार
आढ़ती राजेश कुमार का कहना है कि गेहूं खरीद एक अप्रैल से शुरू होनी थी जिसे चार दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक न तो मंडियों में एजेंसी के अधिकारी आ रहे हैं और न ही दुकानों पर बारदाना पहुंच रहा है। कई बार एजेंसियों से बात करने के बाद भी बारदाना उपलब्ध नहीं हो रहा है। आढ़तियों का कहना है कि बारदाने की कमी पैदा की जा रही है ताकि अधिकारियों को ज्यादा तवज्जो दी जाए।
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नहीं बिकी कोई फसल
मंडी में गेहूं लेकर आए गांव बारना के किसान विरेंद्र ¨सह का कहना है कि यह सरकार व्यापारियों की है। जानबूझकर ऐसा किया जाता ताकि किसानों की फसल को सस्ते दामों पर खरीदा जा सके। प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद ऐसा ही हो रहा है। कोई भी फसल सरकारी दामों पर नहीं बिक पाई। धान का यही हश्र हो रहा है और इसी प्रकार पिछले गेहूं का किया जा सकता है। मंडी में सरकारी एजेंसी खरीद नहीं कर रही है और प्राइवेट एजेंसी सरकारी रेट से कम दाम पर खरीद कर रही है।
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नहीं सुनती सरकार : साहब ¨सह
लुक्खी के किसान साहब ¨सह का कहना है कि यह सरकार व्यापारियों की है और उन्हीं की सुनती है। दो बार किसानों के खातों में सीधे पैसे देने की बात कर पीछे हट जाती है, लेकिन व्यापारी केवल एक दिन में सरकार के फैसले को मोड़ लाते हैं। विधायक भी इन्हीं के हैं और व्यापारियों के सम्मेलन में विधायक से लेकर मंत्रियों तक का जमावड़ा देखा जा सकता है। किसानों के सम्मेलन में बस गरीब किसान होते हैं। सरकार का असली चेहरा मंडियों में दिख रहा है।
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मौसम की मार से ज्यादा सरकार की मार
बारना के किसान विकास कुमार का कहना है कि मौसम की मार से ज्यादा मार पिछले दिनों में सरकार ने किसानों को मारी है। मंडियों में हालत ये हैं कि खरीद के नाम पर व्यापारियों को खुला छोड़ दिया है। सरकार सरकारी रेट तो देती है, लेकिन उसके अनुसार खरीद नहीं करती। ऐसे में किसानों को फसल में नुकसान के अलावा कुछ हासिल नहीं हो रहा है। इससे अच्छा होता कि किसान खेती छोड़ दें तो देखें की आखिर ये अधिकारी और नेता क्या खाएंगे।