चैत्र नवरात्र में दिव्य संयोग, साधना, सिद्धि व मांगलिक कार्यों के लिए है शुभ
कई सालों बाद चैत्र नवरात्र दिव्य संयोग में आ रहा है। साधना, सिद्धि, खरीदारी और मांगलिक कार्यों के लिए नवरात्र के इन दिनों को श्रेष्ठ माना जा रहा है।
जेएनएन, कुरुक्षेत्र। चैत्र नवरात्र रविवार 18 मार्च रविवार से प्रारंभ हो रहे हैं। श्री दुर्गाष्टमी शनिवार 24 मार्च को मनाई जाएगी। धर्म सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार यदि अष्टमी तिथि तीन मुहूर्त से कम हो तो उस स्थिति में नवमी युता अष्टमी को त्यागकर पूर्ववर्ती तिथि (सप्तमी युता) में व्रत और पूजन करने का विधान है। स्पष्ट है की श्री दुर्गाष्टमी व्रत, पूजन, 24 मार्च को करने होंगे, इस दिन सप्तमी तिथि सुबह 10-06 मिनट तक है।
मां दुर्गा दूर करेंगी हर बाधा
पंडित रामराज कौशिक के मुताबिक कई सालों बाद चैत्र नवरात्र दिव्य संयोग में आ रहा है। यह नवरात्र साधना, सिद्धि, खरीदारी और मांगलिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ है। रविवार के दिन उत्तर भाद्रपद नक्षत्र तथा सर्वार्थ सिद्धि योग के संयोग में चैत्र नवरात्र का शुभारंभ हो रहा है।
शुक्ल योग में उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का होना माता लक्ष्मी की कृपा को दर्शाता है। इस नवरात्र में लक्ष्मी प्राप्ति के लिए साधना तथा संकल्प की सिद्धि साधकों को देवी कृपा से सहज ही प्राप्त होगी। शुभ व मांगलिक कार्यों के लिए भी श्रेष्ठ माना जा रहा है।
देवी पूजा में इनका रखे ध्यान
दुर्गा पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जैसे एक घर में दुर्गा की तीन मूर्तियां न हों अर्थात देवी की तीन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा, पूजन न करें। देवी के स्थान पर शहनाई का घोष नहीं करना चाहिए तथा दुर्गा पूजन में दुर्वा अर्थात दूब का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
दुर्गा आह्वान के समय बिल्वपत्र, बिल्व शाखा, त्रिशुल, श्रीफल का प्रयोग करना चाहिए। पूजन में सुगंधहीन व विषैले फूल न चढ़ाएं बल्कि लाल फूल मां को प्रिय हैं। रात्रि में कलश स्थापना नहीं करनी चाहिए।
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