केंद्र सरकार कृषि कानून के जरिये किसान की पगड़ी गिरवी रख रही: अभय चौटाला
ऐलनाबाद से विधायक एवं इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून के जरिये किसान की पगड़ी को गिरवी रखने का काम किया है। इसकी इज्जत बचाने के लिए अब 26 जनवरी को दिल्ली कूच करने के लिए किसान कमर कस लें।
संवाद सहयोगी, इस्माईलाबाद : ऐलनाबाद से विधायक एवं इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून के जरिये किसान की पगड़ी को गिरवी रखने का काम किया है। इसकी इज्जत बचाने के लिए अब 26 जनवरी को दिल्ली कूच करने के लिए किसान कमर कस लें। वे अपनी ट्रैक्टर यात्रा अंबाला से लेकर सैनी माजरा टोल प्लाजा पर किसानों के धरने के बीच पहुंचे थे।
अभय सिंह चौटाला ने कहा कि अंबानी-अडानी की किसानों की जमीनों पर नजर सालों से लगी हुई है। सरकार सभी विभागों को गिरवी रखने के बाद अब जमीनों को भी पूंजीपतियों की तिजोरी में डालने का काम कर रही है। यदि कृषि कानून वापस नहीं हुए तो किसानों को अपने ही खेतों में मजदूरी पर जाना पड़ेगा।
चौटाला ने कहा कि स्व. चौधरी देवी लाल ने किसानों के अधिकार के लिए अनेक पद छोड़े हैं। वे सदैव किसानों के हित की सोचते थे। उन्होंने किसानों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया है। भाजपा-जजपा का असली चेहरा अब जनता के सामने आ चुका है। दोनों दलों को चलता करने के लिए जनता कमर कस चुकी है।
इस मौके पर किसान संगठन की ओर से गुरनाम सिंह फौजी और बूटा सिंह लुखी ने अभय चौटाला को सिरोपा भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर मनजीत चौधरी, जसविद्र ठोल, आयुष कंसल, पवन शर्मा भूस्थला मौजूद रहे। एक के साथ दो ट्रैक्टर लेकर जाएं
अभय सिंह चौटाला ने किसानों को सुझाव देते कहा कि दिल्ली कूच के लिए एक ट्रैक्टर के पीछे दो ट्रैक्टर टोचन करके लेकर जाएं। ऐसा कर एक ट्रैक्टर के ईधन खर्च से दिल्ली में तीन ट्रैक्टर पहुंच जाएंगे। चौटाला ने यहां तक कहा कि हर गांव और हर घर से दिल्ली के लिए किसान व ट्रैक्टर निकलने चाहिए। यदि सरकार नहीं मानी तो आगामी रणनीति तैयार कर आंदोलन तेज कर दिया जाएगा। ट्रैक्टर रैली निकली गांवों के बीच से
अभय चौटाला के आने से पहले मनजीत चौधरी के नेतृत्व में ट्रैक्टरों का काफिला पहले ही सैनी माजरा टोल प्लाजा पर तैनात कर दिया गया था। यहां से अभय चौटाला अपने ट्रैक्टर पर आगे चले और पीछे ट्रैक्टरों की कतार चली। यह देख बुजुर्गों का कहना था कि एक बार फिर ताऊ देवी लाल के संघर्ष का दौर याद आ गया है।