कुवि में होगा गीता अध्ययन शोध केंद्र और बौद्ध अध्ययन केंद्र की स्थापना
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय में श्रीमद्भगवद्गीता पर अध्ययन के लिए गीता अध्ययन एवं शोध केंद्र स्थापित किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय में श्रीमद्भगवद्गीता पर अध्ययन के लिए गीता अध्ययन एवं शोध केंद्र स्थापित किया जाएगा। इस संबंध में विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र विभाग की तरफ से एक प्रस्ताव विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को भेजा गया था। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में गीता अध्ययन शोध केंद्र व विश्वविद्यालय के डॉ. भीमराव अंबेडकर अध्ययन केंद्र में बौद्ध अध्ययन पर एक विशेष केंद्र बनाने की अनुमति प्रदान की है।
कुलपति ने कहा कि आने वाले समय में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के गीता शोध अध्ययन केंद्र एवं बौद्ध अध्ययन केंद्र में श्रीमद्भगवद्गीता पर अध्ययन होगा। कुलपति ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय इससे पहले भी दर्शनशास्त्र व दूरवर्ती शिक्षा निदेशालय में भगवद्गीता पर सर्टिफिकेट कोर्स के माध्यम से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बाक्स
पहले तकनीकी सत्र में हुई अध्यात्मिक पयर्टन और भगवद् गीता व दूसरे तकनीकी सत्र में एथिक्स इन कामर्स एवं भगवद् गीता पर चर्चा कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में गुरुवार से शुरु हुई अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन पहले तकनीकी सत्र में दुनिया भर से आए विद्वानों ने अध्यात्मिक पर्यटन और भगवद् गीता पर विद्वानों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। सेमीनार की निदेशिका प्रोफेसर मंजूला चौधरी ने कहा कि पहले तकनीकी सत्र में प्रोफेसर एससी बागड़ी, अमेरिका से आई सत्या कालड़ा, डॉ. शालिनी ¨सह, किर्गीस्तान से महालियो नजरोवा, डॉ. संत कुमार, डॉ. सचिन बंसल, प्रोफेसर एसी कुंडू, प्रो. हरभजन बंसल ने अपने विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किए। एक अन्य तकनीकी सत्र को कामर्स विभाग की अध्यक्षा प्रोफेसर नीलम डांढा, डॉ. महाबीर नरवाल व डीन कामर्स प्रोफेसर नरेंद्र ¨सह के सहयोग से आयोजित किया गया। इस सत्र में विवेक शंकर नटराजन, प्रो. राजेंद्र प्रसाद, प्रो. योगेंद्र ¨सह वर्मा, प्रो. दिलीप ¨सह, प्रो. आरएस अरोड़ा, प्रो. केपी कोशिक, प्रो. एमबी शुक्ला, प्रो. राजकुमार ने अपने व्याख्यान दिए व बड़ी संख्या में शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।