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पुस्तक बी क्लीयर कश्मीर विल वोट फॉर इंडिया का विमोचन हुआ

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का अविभाज्य अंग था और हमेशा से रहेगा। राजनीतिक लोगों का एक वर्ग इस मामले पर आम जनता को गुमराह करने की कोशिश करता रहा है जो इस राजनीतिक समस्या का हल नहीं चाहता। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान परस्त आतंकवादियों को उनके मंसूबे में कभी भी कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 08:10 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 08:10 AM (IST)
पुस्तक बी क्लीयर कश्मीर विल वोट फॉर इंडिया का विमोचन हुआ
पुस्तक बी क्लीयर कश्मीर विल वोट फॉर इंडिया का विमोचन हुआ

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का अविभाज्य अंग था और हमेशा से रहेगा। राजनीतिक लोगों का एक वर्ग इस मामले पर आम जनता को गुमराह करने की कोशिश करता रहा है जो इस राजनीतिक समस्या का हल नहीं चाहता। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान परस्त आतंकवादियों को उनके मंसूबे में कभी भी कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। वह बृहस्पतिवार को नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी नई दिल्ली में प्रो. रघुवेन्द्र तंवर की पुस्तक बी क्लीयर कश्मीर विल वोट फॉर इंडिया : जम्मू-कश्मीर 1947-1953 के विमोचन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। पुस्तक के लेखक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अमरेट्स प्रो. रघुवेन्द्र तंवर ने कहा कि यह पुस्तक जम्मू-कश्मीर पर मुख्यधारा के पारंपरिक लेखने से हटकर एक अलग कहानी कहती है। उन्होंने कहा कि पुस्तक में जम्मू-कश्मीर जिसको शिव भूमि से भी जाना जाता है में हिदुओं के 1500 वर्षों के इतिहास पर प्रकाश डाला गया है। प्रो. तंवर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष संवैधानिक दर्जा देने का विचार राज्य के आम लोगों का नहीं बल्कि वास्तव में यह प्रधानमंत्री नेहरू और शेख अब्दुल्ला के बीच एक दोस्ताना समझ के रूप में अधिक प्रतीत होता है। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में राज्य से जुड़े कई अहम मुद्दों के बारे में बताया गया है। डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की गिरफ्तारी और मृत्यु, शेख अब्दुल्ला की बर्खास्तगी, कश्मीर के मामलों के प्रबंधन से संबंधित एक मामले में सरदार पटेल के त्यागपत्र का ड्राफ्ट और पटेल द्वारा प्रारंभिक चरणों में शेख अब्दुल्ला की राजनीति की आशंकाओं का भी पुस्तक में विस्तार से चर्चा की गई है।

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