अब सक्रिय राजनीति के अखाड़े में उतरी भाकियू
भारतीय किसान यूनियन के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष गुरुनाम चढुनी ने कहा कि यूनियन की प्रदेश स्तरीय बैठक में राजनीति में उतरने का फैसला किया गया है। जिसके लिए पार्टी सीधे तौर पर मैदान में आने के साथ ही अन्य राजनीतिक पार्टियों के साथ ही समझौता किया जाएगा। बैठक में राजनीतिक पृष्ठभूमि को तय करने के लिए दो फरवरी को पिपली में रैली करने का निर्णय भी लिया गया है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
भारतीय किसान यूनियन के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष गुरुनाम चढुनी ने कहा कि यूनियन की प्रदेश स्तरीय बैठक में राजनीति में उतरने का फैसला किया गया है। जिसके लिए पार्टी सीधे तौर पर मैदान में आने के साथ ही अन्य राजनीतिक पार्टियों के साथ ही समझौता किया जाएगा। बैठक में राजनीतिक पृष्ठभूमि को तय करने के लिए दो फरवरी को पिपली में रैली करने का निर्णय भी लिया गया है। किसान नेता जाट धर्मशाला में आयोजित यूनियन की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अब किसान नेताओं को वोट नहीं देंगे बल्कि अपने में से ही नेता बनाएंगे जो लोकसभा या फिर विधानसभा में पहुंचकर किसानों की बात करेंगे।
किसान नेता गुरुनाम ¨सह ने कहा कि प्रदेश हो या केंद्र सरकार सभी पर कारपोरेट घरानों का ही कब्जा है। नेता या तो वोट के लिए कार्य करते हैं या फिर नोट के लिए। कारपोरेट घरानें पैसा मुहैया कराते हैं और राजनीतिक दल धर्म, जाति की बातें कर वोट बटोर रहे हैं। देश में पिछले 40 वर्षों से अधिक समय से किसान यूनियन सक्रिय हैं और किसानों की आवाज उठा रही हैं। अब तक किसान यूनियन ये कहती रही हैं कि वे गैर राजनीतिक हैं। इसी का फायदा उठाकर राजनीतिक दलों ने यह मान लिया है कि किसान यूनियन के पास कोई भी वोट नहीं है। राजनीतिक दल सभी योजनाएं वोट के अनुसार बनाते हैं। ऐसे में हमें दिखाना होगा कि हमारे साथ कितनी वोट हैं। इस मौके पर भाकियू के संयोजक बाबू राम, भूरा राम पबनावा, सत¨वद्र ¨सह, रोहताश बैनीवाल, बलकार ¨सह, सत्य नरवाल, विक्रम कसाना, हरपाल सुढल, डॉ. मनोज कुमार, प्रदेश प्रवक्ता राकेश बैंस आदि उपस्थित रहे। बाक्स
राजनीतिक दल की घोषणा अभी नहीं प्रेस वार्ता में गुरुनाम ¨सह ने बताया कि वे राजनीति दल के रूप में रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराएंगे। किसान यूनियन की ओर से राजनीतिक दलों से सीटों के आधार पर समझौता किया जाएगा। जिसमें जो सीटें पार्टी की ओर से उन्हें दी जाएंगे उन पर उम्मीदवार को किसान यूनियन तय करेगी। फिर चाहे चुनाव उसी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर या फिर आजाद उम्मीदवार के रूप में लड़ा जा सकता है। इस पर अभी विचार किया जाएगा। अलग पार्टी पर उन्होंने कहा कि अभी यूनियन के पास इतना पैसा नहीं है कि राजनीतिक दल का खर्चा किया जा सके।