देश में प्रचलित सभी चिकित्सा पद्धतियों को एक मंच पर आना चाहिए : डॉ.बलदेव
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि लोगों के सुविधाजनक उपचार के लिए देश में प्रचलित सभी चिकित्सा पद्धतियों को एक मंच पर आना चाहिए जिससे रोगों को ठीक करने की सर्वसम्मत विधा तैयार की जा सके। डॉ. कुमार श्रीकृष्णा आयुर्वेदिक महाविद्यालय में द्वितीय प्राकृतिक चिकित्सा पद्घति पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि लोगों के सुविधाजनक उपचार के लिए देश में प्रचलित सभी चिकित्सा पद्धतियों को एक मंच पर आना चाहिए, जिससे रोगों को ठीक करने की सर्वसम्मत विधा तैयार की जा सके। डॉ. कुमार श्रीकृष्णा आयुर्वेदिक महाविद्यालय में द्वितीय प्राकृतिक चिकित्सा पद्घति पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारा शरीर प्रकृति की अनमोल धरोहर है, जिसको प्रकृति के सान्निध्य में ही सुरक्षित रखा जा सकता है। व्यक्ति के शरीर की रचना में प्रकृति के कण-कण का आभास होता है। इनमें जल, वायु, आकाश, पृथ्वी, अग्नि प्रकृति के पांच तत्व है, जोकि हमारे शरीर में भी विद्यमान है। इन सभी तत्वों को सम रखने से मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता है।
प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. वीना सहगल ने मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए कहा कि व्यक्ति को अपने उपचार के लिए अपनी प्रकृति को समझना आवश्यक है। रोग हमारे शत्रु नहीं हैं, बल्कि हमारे शरीर में विजातीय तत्वों के प्रवेश का ज्ञान करवाते हैं। प्रकृति एक श्रेष्ठ चिकित्सक है, जोकि स्वत: ही शरीर की बीमारी को ठीक करना भी शुरू कर देती है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना ने कहा कि जीवन की सहजता और सरलता ही मनुष्य को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। इसके लिए व्यक्ति को प्रकृति से मेल रखते हुए अवांछनीय तत्वों को शरीर से बाहर रखना चाहिए। इस अवसर पर डॉ. आशीष मेहता, डॉ. सुरेंद्र सहरावत, डॉ. श्रीनिवास गुज्जरवार, डॉ. दीप्ति पारासर, डॉ. स्नेह लता, डॉ. विदुषी त्यागी सहित चिकित्सक, वरिष्ठं अधिकारी, विद्यार्थीगण सहित अनेक कर्मचारी मौजूद थे।