क्रियाशील बने युवा : स्वामी ज्ञानानंद
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में वीरवार को आयोजित अपनी बात प्रेरणात्मक व्याख्यान श्रृंखला के पांचवें व्याख्यान में बोलते हुए स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने युवाओं को आह्वान करते हुए कहा कि वे सतर्क व सचेत एवं क्रियाशील बनें ताकि एक आदर्श नागरिक बनकर भारत को पुन विश्व गुरू बना सकें।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में वीरवार को आयोजित अपनी बात प्रेरणात्मक व्याख्यान श्रृंखला के पांचवें व्याख्यान में बोलते हुए स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने युवाओं को आह्वान करते हुए कहा कि वे सतर्क व सचेत एवं क्रियाशील बनें, ताकि एक आदर्श नागरिक बनकर भारत को पुन: विश्व गुरू बना सकें। सर्तकता मन की वह स्थिति है जिसमें मनुष्य अपने वातावरण के प्रति सर्तक रहता है। वह न तो भूतकाल के बारे में चितित होता है और न ही भविष्य को लेकर अनावश्यक भ्रांतियां मन में रखता है। ऐसा युवा अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसे प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करता है। ऐसा तभी संभव हो पाता है जब वह सर्तकता से अपने मन को उस और केंद्रित रखता है। सचेत युवा अपने आसपास के वातावरण को बारीकी से समझकर सही निर्णय लेता है। किसी प्रकार की व्यथित मन:स्थिति उसमें एक बाधक होती है। एक सर्तक एवं सचेत युवा ही क्रियाशील हो सकता है और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि विज्ञान एवं अध्यात्म दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं और एक दूसरे के बिना पूर्णता प्राप्त नहीं कर पाते। अपने ज्ञान एवं कर्म कुशल व्यक्ति को अहंकारी होने का खतरा रहता है और जिसके कारण उसका पतन हो सकता है। इसके लिए मन को हमेशा संयमित करना चाहिए। आज का युवा अनेक कार्यों में व्यस्त रहता है जिसके कारण एकाग्रता में कमी आ रही है।
इस अवसर पर डीन अकेडमिक अफेयर प्रो. मंजुला चौधरी, कुलसचिव डॉ. नीता खन्ना, दूरवर्ती शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र चांद, डॉ. रमेश भारद्वाज, प्रो. शुचिस्मिता, प्राचार्य सूरजभान मलिक, डॉ. अजय कुमार, रवि थापा उपस्थित रहे।