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पहले दिन एक लाख 73 हजार 250 बच्चों को खिलाई एल्बेंडाजोल की गोली

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस अभियान के पहले दिन एक लाख 73 हजार 250 बचों और 7054 महिलाओं को कृमि नाशक एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई गई

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 06:20 AM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 06:20 AM (IST)
पहले दिन एक लाख 73 हजार 250 बच्चों को खिलाई एल्बेंडाजोल की गोली
पहले दिन एक लाख 73 हजार 250 बच्चों को खिलाई एल्बेंडाजोल की गोली

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस अभियान के पहले दिन एक लाख 73 हजार 250 बच्चों और 7054 महिलाओं को कृमि नाशक एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई गई। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने घर-घर दस्तक देने के साथ-साथ गोली लोकनायक जयप्रकाश जिला नागरिक अस्पताल की ओपीडी में आए हुए बच्चों व महिलाओं को भी खिलाई।

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जिला किशोर परामर्शदाता सोनिया सतीजा ने बताया कि छह दिवसीय इस अभियान में एक से 19 साल तक के तीन लाख 33 हजार 500 बच्चों को दवा खिलाई जाएगी, जबकि 17600 महिलाओं को एल्बेंडाजोल की गोली दिए जाने का लक्ष्य है जिसमें से आज करीबन 39 फीसद बच्चों और 40 फीसद महिलाओं को एल्बेंडाजोल गोली दी गई। यह अभियान 17 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान किसी कारणवश यदि कुछ बच्चे अथवा महिलाएं छूट गई है तो 18 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक मोप-अप सेशंस के दौरान यह गोली उन्हें दी जाएगी ताकि निर्धारित लक्ष्य हासिल किया जा सके और समाज को उसका समुचित लाभ हो सके।

लोकनायक जयप्रकाश जिला नागरिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एवं फिजिशियन डॉक्टर शैलेंद्र ममगाईं शैली ने इस अवसर जनता को चेताया कि एल्बेंडाजोल नामक गोली खाली पेट नहीं ली जानी चाहिए, इसके अलावा बीमार बच्चों और महिलाओं को इस गोली का सेवन नहीं कराना चाहिए। इसके अलावा इस गोली का प्रभाव भी तभी होगा, जब इस गोली को निगलने की बजाये चबाकर खाया जाएगा। उन्होंने जनता से अपील की कि वे भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा चलाए गए इस अभियान का पूरा लाभ उठाएं। गौरतलब है कि देश में बच्चों और महिलाओं में खून की कमी का सबसे बड़ा कारण पेट में कीड़ों का होना है और इस के इलाज के लिए यह चबाने वाली एल्बेंडाजोल नामक गोली कीड़ों को मारने में पूरी तरह सक्षम है यहां तक की फीता कृमि के दिमाग में पहुंचने पर होने वाली बीमारी न्यूरोसिस्टिसरकोसिस इलाज के लिए यह गोली दिन में दो बार 8 से 21 दिन तक दी जाती है और वह कीड़ा मौत के मुंह में समा जाता है और रोगी को सिर दर्द ,दौरे और अन्य दिमागी विकारों से निजात मिलती है।


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