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स्वीटी और निर्भया कांड के बाद भी नहीं संजीदा प्रशासन

फोटो-33, 34, 35 जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र झांसा की छात्र के साथ हुई द¨रदगी के बाद सी

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jan 2018 10:46 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jan 2018 10:46 PM (IST)
स्वीटी और निर्भया कांड के बाद भी नहीं संजीदा प्रशासन
स्वीटी और निर्भया कांड के बाद भी नहीं संजीदा प्रशासन

फोटो-33, 34, 35

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जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र

झांसा की छात्र के साथ हुई द¨रदगी के बाद सीधे तौर पर दिख रहा है कि समाज में ऐसी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही। कुरुक्षेत्र में इससे पहले स्वीटी हत्याकांड और दिल्ली में निर्भया कांड की यह पुनरावृत्ति है। अगर उसी समय कड़े कानून बनाकर उनका सख्ती से पालन किया जाता तो समाज में बाद में हो रही घटनाओं में पीड़ित बेटियों को बचाया जा सकता था, लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाए। पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह से ऐसी घटनाओं के प्रति संजीदा नजर नहीं आता। बस एक बार घटना होने के बाद समाज जागता है और पुलिस भी कार्रवाई करते दिखती है, लेकिन कुछ दिनों बाद उसी ढर्रे पर पुलिस कार्य शुरू कर देती है।

समाज में जागरूकता की आज भी कमी

डॉ. संतोष दहिया ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं बार-बार हो रही हैं। इसका कारण केवल अपराधी नहीं है बल्कि पूरा समाज भी है। घर से बेटी के जाते ही सबसे पहले बेटी को ही दोषी ठहरा दिया जाता है और कोई उसके साथ अनहोनी होने की बात नहीं सोचते। यही मानसिकता कहीं न कहीं समाज में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति कर रही है।

कानून का भय नहीं है अपराधियों के मन में: मोनिका भारद्वाज

ग्रीन अर्थ संस्था की सदस्य मोनिका भारद्वाज ने कहा कि लोगों में कानून का भय लगातार कम हो रहा है। पुलिस का हर मामले में ढुलमुल रवैया रहता है। ऐसे मामलों में पुलिस की ओर से तुरंत एफआइआर तो दर्ज हो जाती है, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। जब कोई घटना हो जाती है तो कानून के जानकार से लेकर पुलिस तक जाग जाते हैं। अंतत: किसी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।

बेटियों को उनके अधिकारों के बारे में बताना होगा : अंजली मरवाह

ब्लिस संस्था की अध्यक्षा अंजली मरवाह ने कहा कि बेटियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा। अब भी हम इस मामले में पिछड़े हैं कि बेटी को अपनी ¨जदगी का फैसला करने का स्वयं अधिकार नहीं है। जिसके कारण वह अपने साथ होने वाली छोटी घटनाओं के बारे में अपने परिवार के सदस्यों को बताने में कतराती है और बाद में यही समस्या जब विकराल रूप ले लेती है तो ऐसी घटनाओं को जन्म देती है। जिसमें बेटियों के साथ कुछ अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को इस प्रकार के अपराध करने का मौका मिलता है।

अमानवीय कार्य ¨नदनीय : सरोज सैनी

अधिवक्ता सरोज सैनी ने कहा कि झांसा की बच्ची के साथ अमानवीय काम करना ¨नदनीय हैं। पढ़ने के लिए जाने वाली छात्राएं भी सुरक्षित नहीं हैं तो महिलाएं कहां सुरक्षित होंगी। ऐसे में महिलाओं के लिए समानता का अधिकार कहां रहा जाता है। तकनीक का भी बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है। अनलिमिटिड इंटरनेट डाटा जैसी स्कीम का प्रयोग कहीं न कहीं विद्यार्थी गलत कर रहे हैं और उसका बुरा असर भी दिखाई दे रहा है। ऐसे में अपने परिवार के छोटे बच्चों को स्मार्ट फोन का प्रयोग एक निर्धारित समय तक करने दें और प्रयोग करते हुए भी उनका ध्यान रखें कि कहीं वे इसका दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं।


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